दिल्ली सरकार स्कूली छात्रों की मानसिक सेहत को प्राथमिकता देते हुए एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि डिजिटल तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग के कारण बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से संबोधित करना होगा।
डिजिटल युग में नई चुनौतियां
मंत्री सूद ने कहा, “मानसिक और भावनात्मक स्थिरता के बिना कोई भी बच्चा सही तरीके से सीख नहीं सकता। इसलिए अब समय आ गया है कि हम छात्रों की मानसिक सेहत के लिए एक मजबूत और व्यापक कानूनी ढांचा तैयार करें।” उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून अभी ड्राफ्टिंग के शुरुआती चरण में है और जल्द ही इस पर काम शुरू किया जाएगा। यह कानून दिल्ली के सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों पर लागू होगा। हालांकि, सरकारी और निजी स्कूलों के लिए प्रावधानों में क्या अंतर होगा, इसे लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार का मानना है कि बदलते शैक्षणिक माहौल, ऑनलाइन पढ़ाई, स्क्रीन टाइम और AI आधारित लर्निंग टूल्स के बीच बच्चों के मानसिक संतुलन को सुरक्षित करना बेहद जरूरी हो गया है।
हालिया सुसाइड केस ने बढ़ाई चिंता
हाल ही में दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट कोलंबा स्कूल के 15 वर्षीय छात्र की आत्महत्या की घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना के बाद दिल्ली सरकार ने स्कूली छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर सख्त रुख अपनाया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि बच्चों में बढ़ते मानसिक तनाव को गंभीरता से समझने और समय रहते रोकने के लिए एक छात्र-केंद्रित सख्त कानून की जरूरत है।
कानून में क्या होगा शामिल
इसमें सीबीएसई के सुझावों जैसे स्कूलों में चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटी के गठन को शामिल किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून के तहत छात्रों की मानसिक समस्याओं की प्रकृति और स्वरूप को परिभाषित किया जाएगा, साथ ही शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षकारों स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों, काउंसलरों, अभिभावकों और प्रशासन की जिम्मेदारियां भी स्पष्ट की जाएंगी।
डिजिटल खतरों से मुकाबला
मंत्री ने स्कूलों को मिल रहे फर्जी बॉम्ब थ्रेट्स का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रतिक्रिया देने की बजाय पूर्व-तैयारी (Preparedness) पर जोर दे रही है। ऐसे डिजिटल खतरों से निपटने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) और सेफ्टी मैनुअल तैयार किए जाएंगे, ताकि किसी भी तरह की अफरा-तफरी से बचा जा सके। इसी उद्देश्य से इस महीने शुरू की गई ‘डिजास्टर रेडी स्कूल’ मुहिम के तहत डिजिटल थ्रेट्स को भी प्रशिक्षण का अहम हिस्सा बनाने का सुझाव दिया गया है।
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