कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। जिला कोर्ट ने नकली दवाओं की फैक्ट्री चलाने वाले संचालक को 7 साल की सजा और 8 लाख 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मामले के दोषी संजय पाठक की ओर से सजा में राहत देने की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज हित सर्वोपरि होता है। ऐसे में नकली दवाओं के जरिए लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया है। लिहाजा दोषी को राहत नहीं दी जा सकती।
साल 2019 का है मामला
दरअसल, मामला 30 सितंबर 2019 का है, जब जॉइंट ड्रग इंस्पेक्शन टीम ने ग्वालियर के पुरानी छावनी स्थित एमएस कैलेक्स हेल्थ केयर परिसर पर छापा मारा था। मौके से दवा बनाने की जरूरी मशीन, कच्चा माल, पैकेजिंग सामान सहित तैयार दवाएं मिली थी। मौके से तैयार दवाओं के सैंपल कलेक्ट कर जांच के लिए भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि आरोपी संजय पाठक के पास दवाओं के निर्माण और उसकी बिक्री का कोई वैध ड्रग लाइसेंस नहीं था। इसके साथ ही केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला मुंबई की रिपोर्ट में दवाओं के सैंपल भी नकली पाए गए। ऐसे में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट विशेष न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई।
कोर्ट ने कहा- ज्यादा सहानुभूति भी न्याय व्यवस्था का उपहास बन जाती है
इस दौरान आरोपी संजय पाठक की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि उसका पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वह घर में अकेला कमाने वाला है। ऐसे में उसे दी जाने वाली सजा में नरमी बरती जाए। जिस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सजा का निर्धारण न्यायिक विवेक से होना चाहिए। लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए अत्यधिक सहानुभूति भी न्याय व्यवस्था का उपहास बन जाती है।
आरोपी को 7 साल की सजा
कोर्ट ने माना कि नकली दवाओं का निर्माण समाज और जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में विशेष न्यायालय ने आरोपी संजय पाठक को दोषी मानते हुए 7 साल का सश्रम कारावास और 8 लाख 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
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