सुप्रिया पांडे,रायपुर। राजधानी के डीडी नगर स्थित आदिम जाति कल्याण बोर्ड के पोस्ट मैट्रिक ट्राइबल बॉयज हॉस्टल में रैगिंग की खबर लगते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया. जब सच्चाई जानने पहुंची अपर कलेक्टर पद्मिनी भोई ने वार्डन रसोईया समेत अन्य स्टाफ से पूछताछ कर उन्हें जमकर फटकार लगाई. साथ ही लापरवाही पाए जाने पर हॉस्टल अधीक्षक को निलंबन के लिए पत्र लिखा है.

दरअसल बुधवार देर शाम आदिम जाति कल्याण बोर्ड के आदिवासी छात्रावास में रैगिंग करने की बात सामने आई. साथ ही मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने पर तत्काल जिला प्रशासन मौके पर पहुंचे. वहां मौजूद सभी छात्रावास कर्मचारियों से पूछताछ किया गया व मारपीट की घटना में संलिप्त छात्रों से भी पूछताछ किया गया. अपर कलेक्टर पद्मिनी के पहुंचने पर सभी छात्रों ने रैगिंग की घटना से साफ इनकार कर दिया. साथ ही चोट के निशान पाए जाने पर उसे खेल के दौरान लगा होना बताया गया.

शाम की घटना के बाद दूसरे दिन तीनों छात्रों में से एक ने रैगिंग के सवाल को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है. मेरा दोस्त गुस्से में आकर कुछ भी बोलता रहता है. उसके अलावा किसी और को कोई चोट नहीं लगी है और बाकि छात्र सामने आने से बचते हुए नजर आए. छात्र से बात करने पर ऐसा लगा कि कहीं न कहीं अपने सीनियर्स या अधीक्षकों द्वारा दबाव बनाया जा रहा हो जिनसे डर की वजह से छात्र स्पष्ट बयान देने से बच रहे है.

इस पूरे मामले में अपर कलेक्टर पद्मिनी भोई के साथ जांच में पहुंचे सहायक आयुक्त तारकेश्वर देवांगन ने कहा कि बुधवार को सूचना मिली थी कि छात्रावास में बच्चों की रैगिंग होती है. छात्रावास में जिला प्रशासन के अधिकारी गए हुए थे. सभी छात्रों ने साफतौर पर इंकार किया है कि यहां रैगिंग जैसी कोई घटना नहीं होती. कुछ छात्र जिनका बयान कल नहीं हुआ था उनका बयान आज दर्ज कराया गया है. उन्होंने भी एक सूर में कहा है कि कोई रैगिंग नहीं हुई है. इस मामले कि जांच प्रशासन ने पूरी कर ली है. रैगिंग जैसी कोई बात सामने नहीं आई है. जिस बच्चे को चोट आई है उसने कहा कि उसे खेलते हुए चोट लगी है. इस मामले में छात्रावास के अधीक्षक महेंद्र बघेल को लेकर सस्पेंड करने की सिफारिश की गई है.

प्रशासन किसी तरह की कोई रैगिंग नहीं होने का दावा कर रहा है. तो वही चोटिल छात्र भी बयान देने से बचते हुए नजर आ रहे है. कुल मिलाकर दोनों बयानों से ये समझा जा सकता है कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है.