रायपुर। प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के सरकार के फैसले से कर्मचारियों में हड़कंप है. छत्तीसगढ़ कर्मचारी संघ फैसले के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है. वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है.
लल्लूराम डॉट कॉम से पूर्व सीनियर इंस्पेक्टर सविता दास ने कहा कि उन्हें बिना वजह बताए जबरदस्ती सेवानिवृत्ति दी गई है. उन्होंने कहा कि OBC कैटेगरी में उप पुलिस अधीक्षक के तौर पर पदोन्नति के लिए उनका नाम पहले स्थान पर था और जब एक इंस्पेक्टर रात के 8 बजे उनके पास लिफाफा लेकर आईं, तो उन्होंने यही सोचा कि शायद ये लेटर उनकी पदोन्नति को लेकर है. लेकिन जब उन्होंने इसे पढ़ा तो उनके होश उड़ गए. क्योंकि इसमें उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश था.
आंदोलन की तैयारी
इधर कर्मचारी नेता विजय झा ने कहा कि प्रदेश सरकार बिना किसी कारण के अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे रही है, जो गलत है. ये निरंकुश अफसरशाही का नमूना है. उन्होंने कोंडागांव के रेंजर नागराज मंडावी का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले साल 15 अगस्त को उन्हें उत्कृष्ट सेवा के लिए कलेक्टर ने पुरस्कृत किया और इस साल उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी कर दिया गया. विजय झा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर 9 महीने में ही ऐसा क्या हो गया कि बेहतरीन काम करने वाला शख्स इतना बुरा हो गया कि उसकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी करना पड़ा.
कर्मचारी नेता विजय झा ने लल्लूराम डॉट कॉम को बताया कि आज उन लोगों की मीटिंग चल रही है और इस फैसले के खिलाफ बड़े आंदोलन का फैसला लिया जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि जिन कर्मचारियों को रिटायरमेंट दिया गया है वे SC, ST कैटेगरी में आते हैं. उन्होंने कहा कि यहां छत्तीसगढ़ और गैर छत्तीसगढ़ विवाद चल रहा है. विजय झा ने कहा कि जिन लोगों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है, वे छत्तीसगढ़ी हैं, जबकि जन लोगों ने फैसला जारी किया है, वे गैर छत्तीसगढ़ी हैं. सीधे तौर पर उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी पर निशाना साधा.
कर्मचारी नेता विजय झा ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति उन लोगों को दी गई है, जो 50 साल के हैं और जिनकी नौकरी को 20 साल हो गए हैं. वे उनके हक के लिए पंचायत से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ेंगे.
AAP ने विरोध की तैयारी की
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता नागेश बंछोड़ ने सरकार के फैसले के ऊपर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 2016 में भिलाई CBI ऑफिस में दागी प्रशासनिक अफसरों की सूची दी थी, लेकिन उस पर तो कार्रवाई हुई नहीं, वहीं सरकार छोटे-छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई कर खुद को पाक-साफ दिखाने की कोशिश कर रही है. AAP नेता नागेश ने कहा कि छोटी मछलियों को नहीं, बल्कि बड़े मगरमच्छों को पकड़े. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्यपाल से शिकायत करेंगे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर ने कहा था कि राज्य सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का जो फैसला किया संविधान और कानून के खिलाफ है.
बता दें कि कि हाल में ही राज्य सरकार ने आदेश जारी करके 47 पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करके बाहर का रास्ता दिखा दिया था. जबकि वन विभाग में इस तरह की कार्रवाई की है. अकबर का कहना है कि सरकार इस अभियान को बंद करें. जिनके विरुद्ध कार्रवाई की गई है, उनके विरुद्ध जांच की जाए, उनका पक्ष सुना जाए और गुण और दोष के आधार पर उन पर कारवाई की जाए.
अकबर का कहना है कि ये कार्रवाई सरकार की आदिवासी और पिछड़ा विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. बिना दोष सिद्ध हुए इसे अत्याचार, असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि रमन सरकार का ये कार्य संविधान के अनुच्छेद 310 और 311 और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का साफ तौर पर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनेक आदेश भी सरकार के आदेश के खिलाफ है.