पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। दुर्लभ वन भैंसों को लेकर मशहूर उदंती सीतानदी अभयारण्य में एक और दुर्लभ जीव मिला है, और वो है विलुप्त माना जा रहा मूषक हिरण. ये अभयारण्य के कैमरे में कैद हुआ है. सीतानदी अभयारण्य के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 1905 में एक ब्रिटिश वन्यजीव विशेषज्ञ को इसी इलाके में मूषक हिरण दिखा था. इसके बाद करीब 112 साल हो गए, लेकिन अब तक यहां ये हिरण दिखा था. जिसके बाद से इसे विलुप्त माना जा रहा था. लेकिन अभयारण्य के कैमरे में रिकॉर्ड होने के बाद अब इस इलाके में फिर से मूषक हिरण के होने के प्रमाण मिले हैं.
दुर्लभ है मूषक हिरण
मूषक हिरण विश्व का सबसे छोटे प्रजाति का हिरण है. इसकी ऊंचाई सिर्फ 16 इंच होती है. गरियाबंद में 1 हजार 842 वर्ग किलोमीटर में फैले उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के ट्रैप कैमरे में मूषक हिरण कैद हुआ है. ये वन अधिनियम 1972 में दुर्लभ जीव के रूप में दर्ज है. उदंती सीटानदी टाइगर प्रोजेक्ट के डिप्टी डायरेक्टर विवेकानंद रेड्डी का कहना है कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 4 से 6 जोड़े मूषक हिरण के हो सकते हैं, इसलिए इसे बचाना बेहद जरूरी है.
ये जंगल और उससे लगे चट्टानी भाग के घास वाले इलाके में रहता है. ये आकार में काफी छोटा होता है. सिर से पूंछ तक इसकी लंबाई 22 से 23 इंच, ऊंचाई 15 इंच और वजन करीब 2 से 4 किलो होता है. शरीर जैतूनी भूरे रंग का होता है, जिस पर हल्के पीले रंग की झलक रहती है. शरीर के दोनों तरफ पीलापन लिए हुए सफेद लंबी-लंबी पट्टियां होती हैं. जंगली घास, पत्तियां और कुछ मौसमी फल इनका भोजन होते हैं.
मूषक हिरण शर्मीला, जंगल में छिपकर रहने वाला और रात में निकलने वाला प्राणी होता है.
उदंती सीतानदी अभयारण्य में देखा गया था काला तेंदुआ
गरियाबंद का जंगल अभी भी अनछुआ है और यहां कई दुर्लभ जीव मौजूद हैं. कुछ ही दिनों पहले यहां काला तेंदुआ भी देखा गया था.