पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी और कचरा फेंकने के लिए जमीन देने के लिए राजी नहीं होने पर खरखरा पंचायत के उप सरपंच समेत 12 पंच के खिलाफ तहसीलदार ने वारंट जारी कर दिया. इसे लेकर अब यहां के ग्रामीण लामबंद हो गए हैं.
मामला छुरा तहसील का है. नगर पंचायत छुरा से लगे खरखरा पंचायत के अंतर्गत आने वाली 5 एकड़ सरकारी जमीन पर हाउसिंग बोर्ड द्वारा करोड़ों की लागत से कर्मचारी आवास का निर्माण किया जा रहा है. इसी जगह पर छुरा नगर पंचायत कचरा फेंकने के लिए जमीन भी आरक्षित करना चाह रही है. गांव के सरपंच जमीन देने के लिए सहमत हो गए हैं, लेकिन पंचों के प्रस्ताव के बिना सरपंच की सहमति दस्तावेज का रूप नहीं ले पा रही है.
अब जमीन पर कब्जा जमाने का जिम्मा प्रशासन ने तहसील ऑफिस को दे दिया है. सरपंच की सहमति के खिलाफ अड़े हुए पंचों को राजी करने के लिए तहसीलदार छुरा ने जमानती वारंट जारी कर छुरा थाना प्रभारी से 12 पंचों को पेश करने का हुक्म दिया है. आदेश को लेकर थाना स्टाफ ने पंचायत प्रतिनिधियों को वारंट थमा दिया है. जिसमें आज की तारीख में तहसीलदार के सामने उपस्थित होने का फरमान है.
आज दोपहर को पंचायत भवन में ग्रामीण और पंच जमा हुए. यहां उपसरपंच भूषण राम साहू ने कहा कि गांववाले नहीं चाहते कि यहां दूसरे गांव के कचरे का ढेर हो. उनका कहना है कि एक तरफ तो सरकार स्वच्छता की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ गांव में कचरा फेंकने की जगह मांगी जा रही है.
उपसरपंच भूषण राम साहू ने आरोप लगाया है कि बिना सहमति के हाउसिंग बोर्ड ने निर्माण शुरू कर दिया है और काम शुरू करने के बाद सहमति मांगना गलत है.
वहीं मामले में तहसीलदार इंदर मिश्रा ने कहा कि प्रस्ताव के लिए उन्हें बार-बार बुलाया गया है और नहीं आने पर वारंट जारी करना पड़ा है.
पंच अवध राम ने बताया कि हाउसिंग बोर्ड ने दो माह पहले से 4 एकड़ जमीन पर कब्जा कर मकान बनाना शुरू कर दिया है और अब 5 और एकड़ जमीन नगर पंचायत के कचरे को फेंकने के लिए मांगा जा रहा है. पंचों ने कहा कि गांववाले कलेक्टर के पास पहुंचकर इसकी शिकायत करेंगे और वहां भी बात नहीं बनी, तो मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से मिलकर अपनी समस्या बताएंगे.