रायपुर. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश में बढ़ती कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रदेश में स्वास्थ्य उपकरणों की कमी को दूर करने, बिलासपुर आईजी द्वारा गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्यों पर रोक का आदेश निरस्त करने, राशन दुकानों, मध्यान्ह भोजन व आंगनबाड़ियों के जरिये खाद्य वितरण में हो रही धांधली को रोकने, कृषि कार्यों को मनरेगा के दायरे में लाने और रबी फसल को सोसाइटियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने तथा आवश्यकता पड़ने पर सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव दिया है.
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने संदिग्ध कोरोना मरीजों के जांच और ईलाज के लिए आवश्यक किटों और वेंटीलेटर्स तथा चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपीई, मास्क व दस्तानों की कमी की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित कराया. उन्होंने कहा कि केंद्र से इनकी आपूर्ति सुनिश्चित कराने और कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक आर्थिक पैकेज लेने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाए. उन्होंने अपने पत्र में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश हलफनामे का हवाला देते हुए राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्यों को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि आम जनता के उन हिस्सों तक, जहां सरकार की पहुंच नहीं है, राहत पहुंचाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तियों को फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए निर्बाध काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
माकपा नेता ने अपने पत्र में बस्तर क्षेत्र में वितरित किए जा रहे खाद्यान्न में गड़बड़ी किए जाने की बात की है और ख़राब खाद्यान्न के फोटो और वीडियो को भी संलग्न किया है और कहा है कि मुफ्त चावल के नाम पर गरीब आदिवासियों को सड़ा चावल वितरित कर उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ न किया जाएं. कालाबाजारी रोकने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत और व्यापक बनाने का सुझाव देते हुए माकपा ने सरकार से रबी फसलों को समर्थन मूल्य पर खरीदने और कृषि कार्यों को मनरेगा के दायरे में लाने की भी मांग की है.