पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले में कई पर्यटन स्थल प्रशासन की उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं. गरियाबंद को प्रकृति ने नैसर्गिक सुंदरता से नवाजा है. ऐसा ही एक स्थल है देवधारा जलप्रपात, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

मैनपुर विकासखंड के अंतर्गत और सांसद गोद ग्राम कुल्हाड़ीघाट और हीरा खदान पैलीखंड के बीचोंबीच प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर देवधारा जलाशय छत्तीसगढ़ का मनोहारी टूरिस्ट प्लेस बन सकता है, लेकिन फिलहाल ये उपेक्षा का शिकार है.

गौरतलब है कि ये जलप्रपात वनभैंसों के लिए विख्यात उदंती अभयारण्य क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित है. देवभोग-रायपुर मुख्यमार्ग से डुमरपडाव गांव के पास से जांगडा पायलीखंड होते हुए देवदहरा पहुंचा जा सकता है. दूसरा रास्ता मैनपुर, कुल्हाड़ीघाट, बेसराझर होते हुए भी पहुंचते हैं. वन विभाग ने यहां पहुंचने के लिए कच्ची सड़क बनवाई है.

देवधारा दो पहाडियों के बीच इंद्रावन नदी पर है. इसके ऊपर भाई दाहरा, हाथ दाहरा, नागरशील और कई रमणीय सरोवर हैं, जहां सालोंभर पानी भरा रहता है. मैनपुर से 40 और जिला मुख्यालय गरियाबंद से 87 किलोमीटर दूर देवधारा जलप्रपात का सौंदर्य देखने लायक है. बारिश के दिनों में 60 से 70 फुट ऊंचाई से पानी जब चट्टान पर गिरता है, तो प्राकृतिक छटा देखने लायक रहती है.

हालांकि अभी तक शासन और प्रशासन ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कोई खास काम नहीं किया है, जिसके कारण ये जगह अभी भी गुमनाम है और जितनी ख्याति इसे मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं है. अगर ये पर्यटन स्थल के रूप में और बेहतर तरीके से विकसित किया जाए, तो सरकार को भी राजस्व के रूप में आमदनी होगी और वैश्विक स्तर पर प्रदेश की ख्याति बढ़ेगी.

देवस्थल के रूप में पहचान

देवधारा को देवस्थल के रूप में जाना जाता है. यहां दशहरा और नवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना होती है. वहीं माघी पूर्णिमा के मौके पर मेला भी लगता है.

यहां की पहाड़ियां घने वनों से आच्छादित हैं. इन वनों में साजा, बीजा, लेंडिया, हल्दु, धाओरा, आंवला, सरई एवं अमलतास जैसी प्रजातियों के वृक्ष भी पाए जाते हैं.

उत्तर उदंती परिक्षेत्र अधिकारी आर डी रजक ने कहा कि देवधारा में पर्यटकों की सुविधा के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति के लिए सरकार को भेजा गया है. लेकिन फिलहाल स्वीकृति नही मिली है. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल घोषित करने के लिए उच्चस्तरीय समिति निर्णय करती है.