रायपुर- वैश्विक महामारी करोना के संकटकाल से गुजर रहे संपूर्ण विश्व में सभी सम्भव टेक्नोलोजी के प्रयोग इस आपदा से उबारने के लिए किये जा रहे है। पूरे विश्व की तरह ही हमारा देश भी इस महामारी से बचने यथा सम्भव उपायों में जुटा है। विकसित देशो के हालात को देखते हुये विकासशील देशो के किये यह एक विशाल चुनौती है तथापि देश एवं प्रदेश का शासन-प्रशासन लॉकडाउन के माध्यम से और डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मीयों जैसे कोरोना वारियर्स की सहायता से आम जनता को सुरक्षित एवं सजग करने सतत् प्रयासरत हैं।

भारत सरकार द्वारा उपलब्ध आरोग्य सेतु ऐप कोविड-19 की सही-सही जानकारी, कोरोना के लिए जागरूकता, रोकथाम के उपाय और आसपास कोरोना के मरीजो के होने का अलर्ट उपलब्ध कराने के लिए कारगर साधन के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। प्रशासन ने आम जनता से इस ऐप को स्मार्टफोन में प्ले स्टोर के माध्यम से डाउनलोड कर इंस्टाल करने की अपील की है नतीजतन आज करीब सात करोड़ स्मार्टफोन में आरोग्य सेतु पहुँच चुका जिसका मुख्य संवाहक है हमारा स्मार्टफोन।
वर्तमान परिवेश में मोबाइल फोन वैश्विक सशक्त सम्प्रेषण माध्यम के रूप में अपनी उपयोगिता दर्ज करा चुका है साथ ही डिजिटल क्रांति के इस दौर में हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रह है, चाहे वह सुरक्षा हो या स्वास्थ्य का क्षेत्र। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हमारे स्मार्ट फोन इतने स्मार्ट है कि कोरोना या अन्य बीमारियों में भी हमारी रक्षा करने और उस से लड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है ?

आज भी स्मार्टफोन में कई तकनीकीयों को विकसित कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने हेतु विभिन्न प्रयोग जारी हैं। यहां मैं यह बताना चाहूंगा कि स्मार्टफोन का शक्तिशाली प्रोसेसर जो कि कई जटिल डाटा का प्रभावशाली ढंग से विश्लेषण कर सकता है तथा इसके सेंसर्स, फ्लेश, कैमरा, माइक्रोफोन और एक्सेलेरोमीटर इसे अधिक डेटा अधिग्रहण के लिए अनुमति प्रदान करते हैं जिससे सूचना के विश्लेषण में विश्वसनीयता आती है। कुछ बाहरी हार्डवेयर अटैचमेंट विकसित करने के साथ फोन की केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई इसकी क्षमताओं को किसी भी क्षेत्र में उपयोग करने के लिए सक्षम बनाती है.

उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्टेथोस्कोप जो कि श्वास और ह्रदय गति ध्वनि और कंपन को प्रवर्धित कर फेफड़ों और ह्रदय की जाँच करता है। स्टेथोस्कोप के इसी कार्य को कई डॉक्टर स्मार्टफोन से ले रहे है जिसमे एक बाहरी प्रवर्धक युक्ति के उपयोग द्वारा स्मार्टफोन और भी प्रभावी ढंग से कार्य कर रहा है। स्मार्टफोन के द्वारा कफ, अस्थमा, निमोनिया जैसी श्वास से जुडी समस्याओ के लिए यह सामान्य स्टेथोस्कोप से भी ज्यादा प्रभावी ढंग से विश्लेषण और निदान के लिए अग्रसर है। सामान्य एलेक्ट्रोकोर्डियोग्राम एक वजनी कंप्यूटर युक्त मशीन हुआ करता था पर स्मार्ट फोन से जुड़ी स्मार्ट घड़ी से यह काम एक वास्तविक मानिटरिंग मशीन की तरह किया जा रहा है। एक साधारण विजिटिंग कार्ड के आकार के ई.सी.जी मशीन जो कि स्मार्टफोन के वायरलेस या वाई फाई द्वारा जुड़ा होता है उसकी सहायता से मिनटों में हृदय संबधी किसी भी व्याधि का अनुमान लगाया जा सकता है ।

अलगोरिथमस के साथ कृत्रिम तंत्रिका तंत्र (ए.एन.एन) के उपयोग से मस्तिष्क संबंधित अनेक प्रकार के विद्युत तरंगों का अध्ययन कर घर पर ही मष्तिष्क रोगियों और ऐसे मरीज जो कि चलने फिरने में असमर्थ है उनके लिए उपयोग में लाई जा रही है। नेचर पत्रिका में ऐसे कई सम्भावित उपायों के बारे में वैज्ञानिको द्वारा विभिन्न लेखों के द्वारा बताया गया है । श्रवण और नेत्र से संबन्धित चिकित्सा युक्तियों में भी स्मार्टफोन का उपयोग विगत वर्षों में बढ़ा है । विशेष रूप से छोटे बच्चो के कान और आँख के अंदर चित्र लेने की क्षमता अधिक रेसोल्यूशन वाले कैमरों की सहायता से बढ़ी है जिसके काफी अच्छे परिणाम भी प्राप्त हो रहे है। इन परिस्थियों में यह कहा जा सकता है कि एक हायब्रीड स्मार्टफोन भविष्य में डॉक्टर्स के क्लिनिक के प्रमुख उपकरणों में से एक होगा।
हालिया पैदा हुए कोरोना संकट में चाइना ने स्मार्टफोन की विशेषताओ जैसे फेस डिटेक्शन, कैमेरा के साथ सेन्सर्स और थर्मल कैमेरा के उपयोग से शरीर के तापमान को मापकर और करोडो स्मार्टफोन के डाटा उपयोग में लाकर हजारों कोरोना संक्रमित लोगो की पहचान की।

वैज्ञानिको ने यह भी दावा किया है कि स्मार्टफोन के प्रयोग से हृदय गति और चेहरे की बनावट में बदलाव का अध्ययन कर व्यक्ति के अंदर हो रहे व्यवहारिक बदलाव और किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी आशंका को जाना जा सकता है । हमारा स्मार्टफोन पहले ही ढेर सारे सेंसर, कृत्रिम इंटेलिजेंस और कैमरे क्वालिटी से युक्त है। कई देशो के वैज्ञानिकों का कहना है कि आँखों के रेटिना और फिंगर प्रिंट जो हमारे स्मार्टफोन के माध्यम से जुड़े होते है उसके द्वारा किसी भी व्यक्ति की पहचान सेकंडों में सम्भव है। ह्रदय गति और शरीर के ताप के माध्यम से अन्य बीमारियों की जानकारी के साथ ही शुगर नियंत्रण और व्यावहारिक बदलाव (गुस्सा, प्रेम, हंसी) को समझने में भी स्मार्टफोन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। अब यह कल्पना करे कि किसी प्रतिनिधि का भाषण सुनते वक्त शरीर के ताप और हृदय गति को समझकर किसी व्यक्ति का भाव उसके भाषण के प्रति समझा जा सकता है। आशय यह है कि स्मार्टफोन के बढते उपयोग के साथ साथ इसके बदलते आयाम से इन्कार नहीं किया जा सकता है ।

लेखक वनांचल आदिवासी बहुल क्षेत्र स्थित आई.एस.बी.एम विश्वविद्यालय, छुरा, गरियाबंद के अकादमिक अधिष्ठाता है और विश्वविद्यालय के विभिन्न शोध कार्यक्रम इनकी देखरेख में जारी हैं । उन्होंने युवा वर्ग से आह्वान किया है कि स्मार्टफोन के इन नवीन आयामों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें जिससे स्मार्टफोन के उपयोग को और भी सशक्त बनाया जा सके। सिर्फ पब जी और सोशल नेटवर्किंग तक सीमित ना करते हुए भारत सरकार द्वारा आरोग्य सेतु एप के भांति और भी नए-नए अविष्कार करने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा तभी हमारा देष पूरे विश्व के लिए एक बेहतर कल की कल्पना को साकार कर सकने में सक्षम तथा कोरोना जैसी किसी भी महामारी का सामना करने के लिए तैयार हो पायेगा।