रायपुर. छत्तीसगढ़ में विलुप्त होती अत्यंत पिछड़ी बिरहोर जनजाति की एक छात्रा निर्मला पहली बार कॉलेज जाएगी. ऐसा पहली बार हुआ है कि इस जनजाति की किसी लड़की की 12वीं कक्षा में पास हुई हो. प्रदेश की ये बेटी जशपुर जिले के झरगांव की निर्मला है. जिसने नियमित छात्रा के रूप में 58 प्रतिशत अंकों के साथ सफलता पाई है.
दुलदुला के छोटे से गांव झारगांव की रहने वाली ये बेटी बहुत गरीब परिवार से है. बेटी निर्मला के पिता मजदूर हैं परिवार में अनेक आर्थिक कठिनाईयों का सामना करने के बावजूद उसने कभी हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी. खास बात ये भी है कि बिरहोर समाज में लड़कियों को ज्यादा पढ़ने का मौका नहीं दिया जाता और कम उम्र में ही उनकी शादी करा दी जाती है. निर्मला की शादी भी तय हो गई थी लेकिन उसने शादी करने से इंकार करते हुए पढ़ने का फैसला लिया. वो अब आगे भी पढ़ना चाहती है और शिक्षक बनना चाहती है.
निर्मला का कहना है कि उनके जैसे गरीबों के लिए कॉलेज के बारे में सोचना ही बड़ी बात है. पिता कुंवरराम कहते हैं कि निर्मला जितना पढ़ेगी, पढ़ाऊंगा. बता दें कि इस बेटी के पास होने पर जशपुर के कलेक्टर महादेव कावरे ने भी निर्मला का मुंह मीठा कराकर उसको हर संभव सहयोग का भरोसा देते हुये उज्ज्वल भविष्य की कामना की थी.
पहाड़ों में निवासरत है ये जनजाति
जशपुर के अलावा यह जनजाति सरगुजा संभाग के अन्य जिलों में भी जंगलों और पहाड़ों के बीच निवासरत है. जंगल से ही चलने वाली आजीविका और पीढि़यों से विरासत में मिले अभावों के बीच किसी लड़की में शिक्षा के प्रति यह ललक बदलाव का संकेत भी है.