मनोज यादव, कोरबा। हरेली त्योहार के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए किसानोंपशुपालकों को केंद्र में रखकर बनाई गई प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना की शुरुआत होगी. योजना के तहत गौठान समितियों की ओर से गांवगांव में पशुपालकों से डेढ़ रुपए किलों में गोबर की खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट तैयार करेंगे, जिसे आठ रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा. इस कार्य को स्थानीय स्वसहायता समूह अंजाम देंगे.

प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को लेकर जब लल्लूराम डॉट कॉम ने कोरबा वासियों से जानना चाहा तो सभी के अलगअलग मत सामने आए. बाल संरक्षण आयोग की सदस्य और समाज सेविका मधु पांडे ने बताया कि गोधन न्याय योजना निश्चित ही एक अच्छी योजना है, इससे मवेशी मालिकों को आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही साथ ही खुले में मवेशियों के रहने से सड़क हादसे में जाने वाली लोगों की जाने और मवेशियों के भी मारे जाने में कमी आएगी. इस योजना को संचालित करने वाले अधिकारी-कर्मचारी मेहनत करें रंग तो निश्चित ही सरकार की योजना सफल होगी.

नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष बीजेपी पार्षद हितानंद अग्रवाल की माने तो सरकार की मंशा अच्छी नजर आ रही है, बशर्ते योजना को क्रियान्वित करने वाले अधिकारीकर्मचारी भ्रष्टाचार न करे. रोका छेका योजना, नरवा, गरुवा, घुरुवा अऊ बारी, गौठान में मवेशियों की योजना निश्चित ही मवेशी और मवेशी मालिकों के हित है. योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि मवेशियों के चारापानी की पर्याप्त व्यवस्था हो.

ग्रामीण ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजीत दास महंत ने बताया कि गोबर और खाद की महत्त्व पहले भी था, आज भी है, और आगे भी रहेगा. खेती करने पहले गोबर खाद का छिकड़काव किया जाता था, और धान से जो चावल होता था, उसमें से खूशबू औऱ धान की पैदावारी अधिक होती थी. वर्तमान समय में उर्वरक उपयोग करने से काफी नुकसान भी होता है. इस योजना के बाद निश्चित ही किसानों का आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता लक्ष्मी नारायण कहते हैं कि सरकार की इस योजना का उद्देश्य तभी सफल साबित होगा, जब भ्रष्टाचार की कोई बू न आये. मवेशी मालिक मवेशियों को बाहर ना छोड़ कर अपने घर पर रखेंगे, इससे उनको भी फायदे होंगे और मवेशियों की जान भी बचेगी. पवन तिवारी कहते हैं कि इस तरह की योजना तो बहुत पहले ही शुरू हो जानी थी. शहरी क्षेत्र में अधिकांश सड़कों पर मवेशी दिखाई देते हैं. पशु मालिक जब तक गाय दूध देती है, तब तक उसे घर पर चारापानी खिलाते हैं, उसके बाद सड़क पर छोड़ देते हैं. इस योजना से पशु मालिक मवेशी को अपने घर पर रखेंगे और आर्थिक लाभ कमाएंगे.