बिलासपुर। मई 2013 में झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान नक्सली हमला हुआ था.जिसमे कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेताओं सहित 32 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. इस घटना को लगभग चार साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. लेकिन अब तक इस मामले मे दोषियों की पहचान ही नहीं हो सकी है तो ऐसे मे उन्हे सजा दिलाना तो दूर की बात है. हालांकि घटना के बाद से ही इस मामले की जांच और गवाही का दौरा लगातार जारी है. इसी कड़ी में शनिवार को भी झीरमघाटी हत्या की सुनवाई बिलासपुर मे हुई. जिसमें गवाही के लिए सीआरपीएफ के तत्कालीन कमाण्डेन्ट पीएस गब्र्याल पहुंचे। जहां उन्होंने बताया की परिवर्तन यात्रा के सुरक्षा की कार्य योजना की जानकारी आई होगी, लेकिन वर्तमान में उन्हें याद नहीं है.
इस मामले में कांग्रेस के वकील सुदीप श्रीवास्तव का कहना है कि कमांडेंट के बयान से साफ है कि पुलिस और सीआरपीएफ के बीच तालमेल नहीं था, क्योंकि नियमतः ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी सीआरपीएफ को दी जाती है. श्रीवास्तव ने यह भी सवाल उठाया की क्या कारण है की घटना के दौरान दरभा थाना क्षेत्र में नक्सली कमांडर देवा के उपस्थित होने की जानकारी होने के बाद भी उसकी तलाश नहीं की गई।
शनिवार को हुई कार्यवाही के दौरान कांग्रेस की ओर से आयोग के समक्ष तीन आवेदन भी लगाए गए, जिसमें आईबी के राज्याधिकारी, सीआरपीएफ के आईजी और डीआईजी सहित गृह मंत्रालय के एंटी नक्सल अधिकारियों को गवाही के लिए बुलाने की मांग की गई है.