पवन दुर्गम, बीजापुर। प्रसव पीढ़ा से कराहती गर्भवती महिला को परिवार के 4 लोगों ने बर्तन ( गंज ) से चिंतावागु नदी पार कराया. नदी के इस तरफ गोरला से गर्भवती को भोपालपट्टनम हॉस्पिटल लाया गया. नवजात के आने की खुशी उस वक्त मातम में बदल गई जब नर्से ने उन्हें बच्चे के गर्भ में ही मृत होने की खबर सुनाई. अब परिजन डॉक्टर्स और स्टाफ नर्स पर लापरवाही बरतने और बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को लिखित शिकायत कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

मिनकापल्ली निवासी हरीश यालम की पत्नी लक्ष्मी यालम गर्भधारण के बाद अपने मायके मीनुर गई हुई थी.13 जुलाई को प्रसव पीढ़ा बढ़ने से जान जोखिम में डालकर परिवार और गांव के 4 लोगों ने भोजन पकाने वाली गंज ( बर्तन) में बैठाकर उफ़नती चिंतावागु नदी को पार कराया. चिंतावागु नदी की धारा और फैलाव ज्यादा होने कारण जान का खतरा ज्यादा था. बावजूद प्रसव पीढ़ा से कराहती महिला को ग्रामीणों की मद्दत से नदी पार गोरला लाया गया. गोरला से भोपालपट्टनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया.

परिजनों की खुशी उस वक्त मातम में बदल गई जब उन्हें स्वास्थ्य विभाग के नर्स ने गर्भ में ही बच्चे के मृत होने की सूचना दी. अब परिजनों ने बच्चे की मौत के लिए उस वक्त ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर गोपी किशन और सहयोगी स्टाफ नर्स को जिम्मेदार बताया है. परिजनों के मुताबकि नर्स और डॉक्टर्स डिलीवरी कराने में देरी कर रहे थे. स्टाफ नर्स और स्टाफ लगातार उन्हें जच्चा- बच्चा के स्वास्थ्य होने की सूचना दे रहे थे.

13 जुलाई को दोपहर 3 बजे की शिफ्ट से स्टाफ नर्स की छुट्टी के बाद नए स्टाफ नर्स को आने में देरी हुई. वहीं प्रसूता को देखभाल भी नियमित नहीं किया जा रहा था. जहां डॉक्टर और नर्स जच्चा- बच्चा के स्वस्थ होने की बात कह रहे थे. वहीं रात 8 बजे के करीब गर्भ में ही बच्चे के मरने की खबर दी गई.

लापरवाही से परिजनों में आक्रोश

इस पूरे मामले में अब परिजन डॉक्टर और नर्स पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. परिजनों के मुताबिक डॉक्टर और स्टाफ नर्स की लापरवाही से बच्चे की जान गई है. ऐसे लापरवाह कर्मचारियों को सरकारी सेवा से बेदखल करने की मांग आक्रोशित परिजन कर रहे हैं.

शिकायत मिली है, जवाब के बाद करेंगे कार्रवाई

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ.रामटेके ने कहा कि परिजनों ने लिखित शिकायत डॉक्टर गोपी किशन और नर्स के खिलाफ की है. परिजनों के शिकायत के आधार पर सभी को शो-काज नोटिस दे दिया गया है. उनके जवाब के आधार पर आगे की कार्रवाई करेंगे.

बता दें मीनुर से भोपालपट्टनम की दूरी 15 किमी है, मगर मीनुर और गोरला के बीच चिंतावागु नदी में पुल नहीं बना है. जिस वजह से बारिश के समय यहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती. वहीं छोटे से भोजन पकाने वाली बर्तन में गर्भवती महिला को जान जोखिम में डालकर लाना साबित करता है कि देश और प्रदेश में विकास और तरक्की के दावे खोखले हैं. आज भी मां बहन बेटियां बर्तन में बैठकर प्रसव के लिए हॉस्पिटल तक जाने मजबूर हैं.