चंद्रकांत देवांगन, दुर्ग। भाजयुमो ने क्वारंटाईन का उल्लंघन करने के मामले में शहर विधायक और स्टेट वेयर हाउस चेयरमैन अरुण वोरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजयुमो ने विधायक के खिलाफ नारेबाजी की। भाजयुमो नेताओं ने सीएमएचओ और जिला कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे के नाम पर ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए मांग की है कि हाल-फिलहाल में विधायक ने प्रदेश के जिन वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों कर्मचारियों से मुलाकात की है। ऐसे तमाम लोगों को भी क्वारंटाइन में भेजा जाए।

जिला भाजयुमो अध्यक्ष दिनेश देवांगन ने कहा है कि कोविड-19 के तहत केंद्र एवं राज्य शासन के द्वारा लागू किए गए नियमों के तहत किसी भी दूसरे राज्य से और विशेषकर संक्रमित क्षेत्र से आए व्यक्ति को लौटने के पश्चात 14 दिनों का होम क्वॉरेंटाइन किए जाने का प्रावधान है। लेकिन दुर्ग शहर विधायक अरुण वोरा देश के सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित राज्य दिल्ली के प्रवास से लौटने के पश्चात जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के बावजूद इस नियम का पालन नहीं किया। बल्कि 15 जुलाई की रात्रि दिल्ली से वापसी के बाद दूसरे दिन राज्य शासन में भंडार निगम के अध्यक्ष नियुक्त होने पर नगर निगम दुर्ग कार्यालय पहुंचकर अपने स्वागत समारोह में शामिल हुए। इसमें महापौर धीरज बाकलीवाल सहित कांग्रेस पार्षदों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी। जिसमें विधायक अरुण वोरा ने सभी से बधाई स्वीकार की। इस अवसर पर निगम के कमिश्नर से लेकर कई अधिकारी भी शामिल हुए थे। और जब इस मामले में मीडिया में खबर आई तो स्वास्थ्य विभाग ने 20 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग द्वारा विधायक को होम क्वारंटाइन किया गया। इसके साथ ही इसकी सूचना उनके घर के सामने चस्पा करने की बजाय पीछे के दरवाजे में चिपकाया गया।

दिनेश देवांगन ने कहा कि लेकिन इसके पूर्व विधायक वोरा से खाद्य मंत्री अमरजीत भगत मिलने पहुंचे थे। वहीं विधायक राजधानी रायपुर में कई वरिष्ठे नेताओं से मुलाकात की थी। जिन्हें भी होम क्वारंटाइन किया जाना चाहिए।

देवांगन ने विधायक निवास में चस्पा की गई सूचना को लीपापोती और खाना पूर्ति करार दिया है। उन्हों ने कहा कि ऐसी स्थिति में जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा यह मांग करती है कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए नियमानुसार ऐहतियातन तौर पर विधायक वोरा के संपर्क में आने वाले तमाम जनप्रतिनिधियों, नेताओं, कार्यकर्ताओं व अधिकारियों चिन्हित कर क्वॉरेंटाइन किया जाना चाहिए ताकि संक्रमण का चैन तोड़ने में सहायता मिल सके।

उधर कोरोना को लेकर बरती गई लापरवाही पर जब सवाल किया गया तो कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने सीधा जवाब देने से बचते रहे। उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है, निगम कमिश्नर को जवाब लेने के लिए कहा गया है और विधायक की रिपोर्ट निगेटिव आई है। जवाब आने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।

हालांकि आम जनता द्वारा उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई किया गया है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या आम जनता के लिए राज्य में अलग नियम कानून है और रसूखदार नेताओं के लिए अलग।

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