गरियाबंद. बेटी भी बेटों से कम नही होती. वो आज के दौर में हर दायित्व को बड़ी खूबी से निभाने का माद्दा रखती है.ऐसी ही एक बेटी है नेहा शर्मा. जिसने अपने पिता डाॅ.रमेश शर्मा के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी.

एमबीबीएस करने वाली नेहा को जैसे ही उसकी मां ने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने की अनुमति दी. उसके रिश्तेदारों ने भी तत्काल इसके लिए सहमति देते हुए इस निर्णय को उचित बताया. डाॅ.शर्मा की 3 बेटियां है और नेहा शर्मा समसे छोटी बेटी है.उसका कहना था की उसने अपने माता-पिता के हर निर्णय का पालन किया है और उनके प्रत्येक कार्यो में साथ रही है. इसलिए वह चाहती थी की मुखाग्नि भी वही दे. नगर के इतिहास मे यह पहली घटना होगी जब किसी युवती ने मुखाग्नि दी हो. नेहा शर्मा के परिजनो के इस साहसिक निर्णय की नगर मे प्रशंसा हो रही है.

दरसल डॉ रमेश शर्मा जो की मूलत: किरवई राजिम के रहने वाले थे और पिछले 45 सालो से गरियाबंद के रहते हुए वहां के लोगों की सेवा करते आ रहे थे. सरल, सौम्य और मृदुभाषी स्वाभाव के कारण वे क्षेत्र मे काफी लोकप्रिय थे. बीते दिनो उन्हें किडनी एवं पैर मे तकलीफ होने के कारण रायपुर के एक निजी चिकित्सालय मे भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. इसके बाद उनके ​पार्थिव शरीर को गरियाबंद लाया गया. जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगो का हुजूम जुट गया. डॉ रमेश का कोई बेटा नही था, उनकी तीन बेटियां ही है.