रायपुर. कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट नितिन भंसाली कोरोना संक्रमित हुए थे. वे इलाज कराकर एम्स से घर लौटे हैं. उन्होंने कोरोना संक्रमित होने के बाद एम्स में बिताए दस दिनों के अनुभव और इस दौरान अपनी मनोदशा का हाल लल्लूराम डॉट कॉम से साझा किया है. भंसाली ने कहा कि कोरोना हो जाने पर घबराना नहीं चाहिए.संयम से काम लेना चाहिए.
नितिन भंसाली ने बताया कि करीब 20-25 दिन पहले एक पत्रकार के घर वे गए थे. पत्रकार के परिजनों के पॉजिटिव आने के बाद उन्होंने खुद को क्वेरेंटाइन कर लिया. क्वारेंटाईन रहते हुए तीसरे दिन सुबह उन्हें सर्दी, हल्का बुखार और सिर में तेज़ दर्द महसूस हुआ. उन्होने फौरन ये बात अपने पारिवारिक चिकित्सक डॉ.आशीष दुबे को फ़ोन पर बताई. डॉक्टर ने उन्हें 7 दिन के लिए एंटीबॉयोटिक, पैरासिटामोल, विटामिन सी ओर एंटी एलर्जिक दवाइयां दी और कोविड 19 की जांच कराने को कहा.
नितिन ने बताया कि दवा खाने के दूसरे दिन उन्हें सर्दी, जुकाम ओर बुखार से राहत मिल गई लेकिन हल्का लूज़ मोशन ओर अनइज़ीनेस महसूस हो रहा था. उन्होंने कोविड 19 की जांच के लिए नमूना दिया. इस दौरान उन्होंने सतर्कतापूर्वक क्वारेंटाईन रहे. क्योंकि उन्हें लगातार अपने बुजुर्ग अभिभावकों की चिंता थी. भंसाली का कहना है कि इसका पालन हर संदेहास्पद व्यक्ति को करना चाहिए.
नितिन भंसाली ने बताया की नमूना देने के तीसरे दिन शाम 4.30 बजे उन्हें एक पत्रकार का फोन आया जिससे उनके पॉजिटिव होने की ख़बर लगी. थोड़ी ही देर में स्वास्थ्य विभाग से फ़ोन आ गया. उन्हें सूचना दी गई कि उन्हें एम्स ले जाया जाएगा. नितिन ने बताया कि लगभग 10 से 15 मिनट में अकेले बैठ कर वे ये सोचते रहे कि अब क्या होगा? भंसाली ने कहा कि हालात बेहद तनावपूर्ण थे. दिमाग में तरह-तरह की आशंकाओं से भरे ख्याल आ रहे थे. चिंता से मन भारी हो रहा था. इन सबके बीच उन्हें उन सैनिकों को ख्याल आया जो युद्ध के बीच अपने घरों से जाते हैं. उन चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों का ख्याल आया जो 24 घंटे इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं. नितिन ने तय किया कि वो भी इस बीमारी से उन्हीं लोगों की प्रेरणा लेकर लड़ेंगे और जीतेंगे.
नितिन ने घरवालों को समझा दिया था और उसी अंदाज़ में घर से निकले जैसे सामान्यतौर पर वे कहीं टूर पर जाते हैं. अपनी चिंता खत्म हो चुकी थी लेकिन घऱवालों की चिंता थी. कहीं उनसे घरवाले न संक्रमित हो गए हों. सबसे ज़्यादा चिंता अपने बुजुर्ग माता पिता की थी.
नितिन भंसाली ने इस दौरान उनके नातेदारों, दोस्तों और शुभचिंतकों के फोन लगातार आते रहे. हर फोन कोरोना की जंग में उनका हौंसला काफी बढ़ा रहे थे.
नितिन भंसाली इसके आगे अपने एम्स के अनुभवों को साझा करते हैं. नितिन को एम्स के बिल्डिंग नम्बर सी-2 के निजी रूम में एडमिट किया गया. रात को डॉ.अपूर्वा ओर डॉ.ऐश्वर्या ने उन्हें देखा. नितिन से उनकी पूरी केस हिस्ट्री पूछी. इसके बाद उन्हें रूम में शिफ्ट कर दिया गया. जहाँ उनका ईसीजी, बीपी, तापमान, ऑक्सीज़न का स्तर, शुगर की जांच की. जांच में सब सामान्य आया.
डॉक्टरों ने उन्हें सोने को कहा. लेकिन घरवालों की चिंता उन्हें सोने नहीं दे रही थी. वे मन को दूसरी जगह लगाने की कोशिश करते थे लेकिन रुक-रुक कर उन्हें एक ही ख्याल आ जाता था. अगर कहीं उनके माता-पिता का पॉजिटिव आया तो फिर क्या होगा? इस चिंता ने उन्हें रात भर सोने नहीं दिया.
दूसरे दिन घरवालों से पता चला कि नगर निगम का अमला सुबह से डटा हुआ है. अगली सुबह कोविड टीम के अधिकारियों ने उनसे इस दौरान संपर्क में आए लोगों की जानकारी मांगी. नितिन भंसाली ने बताया कि उन्होंने शंका होने पर खुद को कोरेन्टाइन कर लिया था लेकिन इस दौरान अपने माता पिता, छोटे भाई, भांजे, ड्राइवर, घर और आफिस के स्टाफ सब मिलाकर 12 लोगो के थोड़ा-बहुत संपर्क में आने की जानकारी दी.
इधर, एम्स के डॉक्टरों ने 5 दिन के इलाज का कोर्स शुरु किया. उन्हें दवाइयां दी गईं. विटामिन और प्रोटीन युक्त खाना और नाश्ता दिया जाने लगा. नितिन भंसाली कहते हैं उन्होंने सुना था कि डॉक्टर भगवान होते हैं लेकिन खतरे के इस दौर में जब चिकित्सकों का दल उनका इलाज करता था तो उन्हें उनमें भगवान दिखाई देता था. नितिन ने कहा कि एक व्यक्ति के संक्रमण में आकर हम लोगों को इतनी चिंताएं होती हैं, चिकित्सकों का दल इतने सारे मरीजों में संपर्क में आकर मुस्कुराते थे. उनकी मुस्कान उनकी चिंताओं को गायब कर देती थी. दिन में दो बार उनका शुगर, बीपी, ऑक्सीजन लेवल और तामपान जांचा जाता था. हैरानी की बात है कि मां-पिता की भयानक चिंता के हर वक्त दिमाग में रहने के बाद भी सब कुछ सामान्य था.
नितिन भंसाली ने बताया कि उनके एम्स में भर्ती होने के तीसरे दिन उन्हें जानकारी मिली कि आज उनके घरवालों और स्टाफ़ के कोरोना के सैंपल लिए गए हैं. बाद में सबकी रिपोर्ट जब निगेटिव आई. नितिन की खुशी का ठिकाना न रहा. मां-पिता की चिंता खत्म होने के बाद नितिन दुगने हौंसले के साथ कोरोना से लड़ने लगे. नितिन भंसाली ने बताया कि इस बीमारी से लड़ने के लिए इच्छा शक्ति ही सबसे बड़ा शस्त्र है.
नितिन भंसाली ने बताया कि इलाज को 5 दिन हो चुके थे. छठवें दिन सुबह 6 बजे उनका स्वाब सेम्पल लिया गया. लेकिन दुर्भाग्य से उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. नितिन ने कहा कि जिस तरह से उनके सभी रिपोर्ट सामान्य आ रहे थे और मज़बूत इरादों के साथ कोरोना से लड़ रहे थे, उन्हें उम्मीद थी कि रिपोर्ट निगेटिव आएगी लेकिन रिपोर्ट के पॉजिटिव आने के बाद फिर से बुरे ख्याल मन में आने लगे. उन्हें लगने लगा कि क्या उनका मामला सीरियस किस्म का है जो पांच दिनों में ठीक नहीं हुआ. उन्होंने अपनी चिंता उनका इलाज करने वाले डॉक्टर से साझा की.
डॉक्टर के जवाब ने उनके जेहन से फिर से घर कर रहे निराशा के बादलों को हटाने का काम किया. डॉक्टर ने कहा कि उनके सभी पैरामीटर्स नार्मल है और वे बिना लक्षण के पॉजिटिव हैं. इसलिए उन्हें चिंता करने की ज़रा भी ज़रुरत नहीं है. हालांकि अब कुछ दिन और एम्स में बिताने थे.
नितिन भंसाली को पता चला कि भारत में 80 प्रतिशत कोविड पॉजिटिव बिना लक्षण के लोग है. जिनको जांच के बाद पता चलता है कि वे पॉजिटिव है. अगर ये लोग हिम्मत ओर मजबूत इच्छाशक्ति से काम ले तो उनके ठीक होने की संभावना 100 फीसदी है. नितिन ने बताया कि 5 दिन के दवाइयों के कोर्स पूरा होने के बाद अब उन्हें मल्टी विटामिन, और कुछ अन्य दवाइयां दी जा रही थीं.
नितिन भंसाली ने बताया कि दो दिन बाद भी उनका टेस्ट हुआ. ऊपर वाले की इस बार नज़रें इनायत हुईँ और उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई. नितिन भंसाली ने बताया कि टेस्ट की रिपोर्ट आने के एक दिन पहले वे हल्के से अपसेट थे कि कहीं इस बार भी पाज़िटिव रिपोर्ट न आ जाए.
इसी दौरान उन्हें अटेंड करने वाली नर्स सिस्टर एमी ने उन्हें हिम्मत दी. नितिन ने कहा कि मरीजों के प्रति उनका सेवाभाव और समर्पण वे कभी नहीं भूल पाएंगे. सिस्टर एमी ने उनसे कहा था कि उनके सारे पैरामीटर्स अब नॉर्मल है. वे उनके लिए अगली सुबह विशेष प्रार्थना करेंगी. ताकि वे ठीक होकर जल्दी अपने घर पहुंच सके. सिस्टर ने कहा मेडिकल साइंस ये नही मानता. लेकिन मैं मानती हूं.
अगले दिन भगवान ने सिस्टर एमी की प्रार्थना सुन ली. नितिन कहते हैं कि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. एम्स के डॉक्टरों के साथ हुई चर्चा के दौरान उन्हें पता चला कि कोविड 19 वायरस 10 दिन बाद काफी हद तक निष्क्रिय हो जाता है और 14 दिन में यह खत्म भी हो जाता है. लेकिन फिर भी मरीज़ को ऐतियातन क्वेरेनटाइन रहने को कहा जाता है. 10 दिन अस्पताल में बिताने के बाद नितिन अपने घर आ चुके थे.
नितिन भंसाली ने बताया कि एम्स में एडमिट रहते हुए जब वे प्रदेश में कोरोना विस्फोट और मरीज़ों की मौत की खबर देखते या पढ़ते थे तो थोड़े डर जाते थे. लेकिन ये बात उनके जेहन में थी कि डरना नहीं लड़ना है. ठीक उसी तरह जिस तरह सैनिक युद्ध में लड़ते हैं. नितिन का मानना है कि डरने से बीमारी का वायरस हावी हो जाता है. इसलिए जब उल्टे-सीधे ख्याल आएं तो मन दूसरी ओर लगाना चाहिए.
नितिन ने बताया कि एम्स से वे कुछ सीखकर भी आए हैं. कोविड के इलाज के दौरान हर मरीज को खुद के कपड़े धोना ओर बिस्तर पर चादर बिछाना और तकिए का कवर लगाना होता है. अब ये काम वे अच्छे से कर सकते हैं.
नितिन भंसाली ने बताया कि वे सुबह उठकर निरन्तर व्यायाम और योग करते थे. खाली पेट गर्म पानी मे नींबू का रस मिलाकर पीते थे. इसके बाद इसे कई बार पीते थे. खाली समय में वे लॉकडाउन से लॉकअप नामक शीर्षक पर किताब लिखने का काम कर रहे थे. इसके अलावा वे मोबाइल पर मूवी, गाने ओर मोटिवेशनल स्पीच सुनते थे.
नितिन भंसाली ने बताया कि 10 दिन में एम्स से डिस्चार्ज होने के बाद अब वे 10 दिन के होम क्वारेंटाईन पर है और खुद को बहुत तरोताज़ा और हल्का महसूस कर रहे हैं. लगातार गर्म पानी और नींबू का सेवन कर रहे हैं. पौष्टिक आहार लें रहे है. नियमित व्यायाम कर रहे है. मल्टी विटामिन के साथ विटामिन सी की 2 गोलियां सुबह-शाम ले रहे हैं. वे हर रोज़ लोगो को फोन पर इस बीमारी के लक्षण ओर इसके इलाज की जानकारी भी दे रहे हैं. नितिन भंसाली ने बताया कि छत्तीसगढ़ में जल्द ही शुरू होने वाली प्लाज्मा थेरैपी के लिए अपना प्लाज्मा देंगे.
एम्स में झूठा राजनीतिक आरोप भी झेलना पड़ा- नितिन
नितिन भंसाली ने बताया कि जब वे कोरोना को लेकर मानसिक तनाव के दौर से गुज़र रहे थे. तब उन्हें भाजपा नेता के झूठे आरोप से भी जूझना पड़ा. भाजपा नेता ने सार्वजनिक बयान दे दिया कि नितिन भंसाली के संपर्क में आने के बाद वह कोरोना पाॅजीटिव हुए. जबकि इस मामले में नितिन भंसाली ने स्पष्ट किया है कि उनकी मुलाकात किसी भाजपा नेता से नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के संपर्क में आने से उन्हें कोरोना हुआ.