शिवम मिश्रा. रायपुर. राजधानी रायपुर में जब कोरोना का पहला केस समता कॉलोनी में आया था तो पूरे शहर में सन्नाटा पसर गया था. आज भी जब किसी इलाके में कोरोना का मरीज मिलता है तो उस घर के व्यक्ति से उनके पड़ोसी को तो छोड़िए रिश्तेदार भी महीनों रिश्ता तोड़ देते है और उनके घर जाने की सोचना तो दूर की बात है उनसे मिलना भी पसंद नहीं करते है.
ऐसे समय में जब यदि कोई पड़ोसी अपने घर में कोरोना मरीज को रखे ? तो लोगों की नजर में वह व्यक्ति पागल जरूर हो जाता है. लेकिन आज उसी व्यक्ति की राजधानी रायपुर समेत पूरे देश में तारिफ हो रही है. हम बात कर रहे है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खमतराई क्षेत्र में रहने वाले अशोक बाबूलाल भाई पटेल की. एक अच्छे पड़ोसी होने का फर्ज निभाते हुए इन्होंने अपने घर में करीब 10 दिन अपने पड़ोसी को रखा तो बाद में कोरोना पॉजिटिव आ गया और पॉजिटिव की हालत में पड़ोसी 3 दिनों तक अशोक भाई पटेल के घर में ही थे.
हुआ कुछ ऐसा कि अशोक भाई के पड़ोसी के परिवार के मुखिया के देवेंद्र नगर में रहने वाले मामा कोरोना संक्रमित हुए. उसके बाद उनके संपर्क में आने वालें लोगों को होम क्वारेंटाइन होने को कहा गया था. लेकिन उक्त मरीज का घर इतना बड़ा नहीं था कि वो अपने घर में क्वारेंटाइन हो सके.
यही कारण है कि उक्त मरीज ने अपने पड़ोसी से संपर्क किया और मदद मांगी. अशोक भाई ने बिना किसी डर और झिझक के उनकी मदद की. जबकि उनके घर में कुल 10 छोड़े-बड़े सदस्य मौजूद है. जिसमें दो बुजुर्ग और 4 बच्चे मौजूद है.
ये जानकारी जब अशोक भाई के रिश्तेदारों और जानने वालों को हुई तो उन्होंने उन्हें फोन कर ये कहा कि वो किसी कोरोना संदिग्ध मरीज को अपने घर में रखकर अपनी जान जोखिम में क्यों डाल रहे है. इसी बीच आपस में बातचीत करते हुए कुछ लोगों ने अशोक भाई को बुरा-भला भी कहा.
लेकिन अशोक भाई का हौंसला कम नहीं हुआ. इसी बीच उनके ये पूरी कहानी राजधानी के एक अखबार में प्रकाशित हुई तो आज पूरा पाटीदार समाज अशोक भाई की तारिफ कर रहा है.
इतना ही नहीं पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक विकास उपाध्याय ने भी अशोक भाई से फोन में संपर्क कर मिलने आने की बात कही है. श्री पटेल ये भी बताते है कि अब उनके इस नेक पहल की चर्चा गुजरात तक उनके रिश्तेदारों को मिल गई है और सभी उनके इस काम की तारिफ कर रहे है.