अयोध्या (लखनऊ)। भारत आज सरयू नदी के किनारे स्वर्णिम अध्याय रच रहा है. पूरे देश रोमांचित है, पूरा भारत भावुक है. सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है. करोड़ों लोगों को आज यह विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि वे जीते जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं. बरसों से टाट और टेंट के नीचे रहे राम लला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा. उठना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस गतिक्रम से रामजन्म भूमि आज मुक्त हुई है.

गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था, जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां आजादी के लिए बलिदान नहीं दिया गया है. 15 अगस्त का दिन उन अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है. ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिए कईकई सदियों तक, कईकई पीढ़ियों ने अखंड, अविरत, एकनिष्ठ प्रयास किया, आज का यह दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है.

राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था. संघर्ष भी था, संकल्प भी था. जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज यह स्वप्न साकार हो रहा है. मैं उन सब लोगों को 130 करोड़ देशवासियों की ओर से सिर झुकाकर नमन करता हूं, अभिनंदन करता हूं. आज इस आयोजन को देख रहे करोड़ों-करोड़ों लोग आज उनको नमन कर रहे हैं.

राम हमाने मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुलमिल गए हैं. कोई काम करना हो तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं. भगवान राम की अद्भुद शक्ति देखिए, इमारतें नष्ट हो गईं, क्या कुछ नहीं हुआ. अस्तित्व मिटाने का हर कोई क्या कुछ प्रयास नहीं हुआ. लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति के आधार हैं. श्रीराम भारत की मर्यादा हैं. श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. इसी आलोक में अयोध्या में रामजन्मभूमि पर श्रीराम के इस भव्य दिव्य मंदिर के लिए आज भूमिपूजन हुआ है.

यहां आने से पहले हनुमान गढ़ी का दर्शन किया. राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं. भगवान राम के आदर्शों की कलयुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी भी हनुमान जी की ही है. हनुमान जी के आशीर्वाद से श्रीराम मंदिर भूमिपूजन का आयोजन हुआ है. श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतिनिधित्व भी बनेगा. हमारी शास्वत आस्था का प्रतीक बनेगा. हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा, और यह मंदिर करोड़ोंकरोड़ों लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा. यह मंदिर आने वाले पीढ़ियों को आस्था, श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा.

इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की भव्यता ही नहीं बढ़ेगी, इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र की बदल जाएगा. यहां हर क्षेत्र में नए अवसर बनेंगे, अवसर बढ़ेंगे. पूरी दुनिया से यहां प्रभु श्रीराम और माता जानकी का दर्शन करने के लिए आएगी. भगवान राम का यह मंदिर राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है. यह महोत्सव है विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का, नर को नारायण से फिर से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से और स्व को संस्कार से जोड़ने का प्रतीत बनेगा.