सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछा जा रहा कि दिल्ली की जनता को धन्यवाद और सुकमा के शहीदों को समर्पित जीत का अर्थ क्या है. अगर वो शहीदों के लिए वाकई कुछ करना चाहते हैं तो उनकी मदद क्यों नहीं करते.
दरअसल ये पहला मौका नहीं है जब शहीदों को जीत समर्पित की गई हो. इसके पहले भी कबड्डी विश्व कप की जीत उड़ी हमले के शहीदों को समर्पित की जा चुकी है. बॉक्सर विजेंदर ने अपनी जीत पठानकोट हमले के शहीदों के नाम की थी. लेकिन दोनों बार देश जीता था. इस बार पार्टी जीती है.
सोशल मीडिया मनोज तिवारी के इस कदम की आलोचना करने वाले पूछ रहे हैं कि क्या इस जीत को सुकमा शहीदों को समर्पित करने से उनके परिजनों का दुख कम हो जाएगा. एक वायरल पोस्ट में मनोज तिवीरी को नसीहत दी गई है कि अगर वाकई उन्हें शहीदों की चिंता है तो उनके घरों में जाकर उनके आंसू पोछें या फिर उनकी आर्थिक मदद करें.
वैसे भी दिल्ली नगर निगम में पार्षदों की विकास निधि सलाना 1 करोड़ है और उन्हें 55000 रुपये मासिक तौर पर तनख्वाह के रूप में भी मिलते हैं। पार्षदों को मिलने वाली इस तनख्वाह में 25 हज़ार पार्षद के लिए, 10 हज़ार उनके ड्राइवर, 10 हज़ार उनके कम्प्यूटर ऑपरेटर और मीटिंग अलॉन्स के लिए 10 हज़ार रुपये तय है। तिवारी जी से कहा जा रहा है कि अपने सभी पार्षदों से एक महीने की पूरी सैलरी ‘सुकमा के शहीदों’ के नाम करवाइए।