नई दिल्ली। करोना महामारी से बचने विश्व के प्रत्येक देश वैक्सीन की तलाश में थी. लेकिन इसमें रूस ने हाथ मार लिया. उसने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है. इस दावे को लेकर अमेरिका, जर्मनी समेत कई देशों ने सवाल उठाए हैं. इसी बीच वैक्सीन डेवलपर्स का एक और दावा सामने आया है. कहा गया है कि स्पूतनिक वैक्सीन में कोविड-19 के खिलाफ दो साल तक प्रतिरक्षा मिलेगी.
मॉस्को के गामलेया रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक और रूसी हेल्थकेयर मंत्रालय के अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि इस वैक्सीन के प्रभावी रहने की अवधि एक साल नहीं, बल्कि दो साल होगी. इससे पहले रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस वैक्सीन के दो साल तक प्रभावी रहने का दावा किया था.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 11 अगस्त को दावा किया था कि रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को बना लिया है. इसके बाद रूस कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. वहीं गेमालेया केंद्र के निर्देशक ने पहले कहा था कि इसे पांच महीनों में तैयार किया गया है.
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डब्ल्यूएचओ ने उठाए सवाल
रूस के वैक्सीन बनाने के ऐलान पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वीकार नहीं किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस हफ्ते रूस द्वारा अनुमोदित वैक्सीन उन 9 वैक्सीन में से नहीं है जिन्हें वह टेस्टिंग के उन्नत चरणों में मानता है. डब्ल्यूएचओ और उसके भागीदारों ने एक निवेश तंत्र के भीतर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बनाए जा रहे 9 प्रायोगिक वैक्सीन शामिल किए हैं, जो देशों को इस मिशन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, और इसे कोवाक्स फैसिलिटी के नाम से जाना जाता है.