रायपुर. कांग्रेस सरकार में निगम मंडल की नियुक्ति को लेकर अकटलों का बाज़ार गर्म है. सबसे ज़्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि दूसरी लिस्ट कब आ रही है. स्वतंत्रता दिवस के पहले या उसके बाद. हालांकि सूत्रों के मुताबिक लिस्ट कभी भी आ सकती है.
बताया जा रहा है कि बड़े नेताओं के ना-नुकुर की वजह से लिस्ट अटकी हुई है. चर्चाओं के मुताबिक कुछ बड़े नेताओं को भूपेश सरकार बड़े दायित्व सौंपना चाहती है लेकिन वो खुद तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि अब जिन निगम- मंडलों को बड़े नेताओं को सौंपने की बात हो रही थी, उस निगम-मंडल को उनकी पंसद के व्यक्ति को बैठाया जाएगा. यानि बड़े नेताओं का कोटा तय कर दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक जो बड़े नेता पहले तैयार नहीं थे, उनमें से कुछ अपनी पंसद के व्यक्तियों को पद पर बिठाने पर राज़ी हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक बीज निगम की ज़िम्मेदारी कृषिमंत्री रविंद्र चौबे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेंद्र साहू के तालमेल से किसी को दी जाएगी. इसी तरह एक फॉर्मूला ये है कि बोधघाट परियोजना और अरपा परियोजना के लिए बने आयोग में धनेंद्र साहू के करीबी को एडजस्ट करने की बात चल रही है.
कार्पोरेटिव बैंक और मार्फेड में दो और बड़े नेताओं की पसंद को तरजीह दी जाएगी. चर्चा के मुताबिक मार्फेड के लिए अमितेश शुक्ल की पंसद का ख्याल रखने की बात सामने आई है. जानकारी के मुताबिक कर्मकार मंडल के लिए प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया और शिव डहरिया की आपसी रज़ामंदी से नाम तय होगा.
चर्चाओं के मुताबिक संगठन चाहता है कि सुशील आनंद शुक्ला को दुग्ध महासंघ में एडजस्ट किया जाए. कुछ पत्रकारों को भी निगम-मंडल में जगह देने की बात हुई थी लेकिन बात बनती नज़र नहीं आ रही है.
निगम मंडल की नियुक्तियों में तमाम नामों में इस बात की बकायदा पड़ताल की गई कि कहीं गलती से किसी ऐसे व्यक्ति का नाम न आ जाए जो लोकसभा या विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा हो.