देवेन्द्र डडसेना,सरगांव–  बिलासपुर- रायपुर नेशनल हाईवे में सरगांव के पास कोयला चोरी का धंधा पुलिस की नाक के नीचे चल रहा है, लेकिन कोयला किंग मोहन अग्रवाल का इलाके में इतना दबदबा है कि सरकार चाहे किसी की भी हो,उसे कोयले का काला धंधा चलाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती. हम बात कर रहें हैं मुंगेली जिले के पथरिया ब्लाक के सरगांव की, जहां नेशनल हाईवे पर हरियाणा ढ़ाबा स्थित है. ये ढ़ाबा दिखने में तो एक छोटा सा ढ़ाबा ही नजर आता है,लेकिन इसके मालिक मोहन अग्रवाल इस ढ़ाबे की आड में कोयले का काला कारोबार सालों से करते आ रहें हैं. ढा़बे की पिछले हिस्से की जमीन में बड़ा सा हिस्सा कोयला डंपिंग के लिये रखा गया है.
यहीं पर कोयले का काला कारोबार सालों से व्यवस्थित तौर पर चलाया जा रहा है. यहां पर कोयले का परिवहन करने वाले ट्रक चालकों को जाल में फंसाया जाता है और उनके ट्रक के अच्छे किस्म के कोयले को अनलोड़ कर इसमें खराब क्वालिटी का कोयला भरवा दिया जाता है और इसके एवज में ट्रक ड्राइवरों को पैसे दिये जाते हैं.खराब किस्म का कोयला लेकर यहां से ट्रक चालक गंतव्य स्थल की ओर चला जाता है.जब कभी इस संबंध में शिकायत आती है,तो मोहन अग्रवाल पुलिस की मदद से कोयला विक्रेताओं को मैनेज कर लेते हैं. कोयले के इस काले कारोबार की जानकारी स्थानीय लोगों के अलावा बिलासपुर और मुंगेली जिले की पुलिस को भी है,लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि सब आंखे मूंदे बैठे हैं और कोयला चोरी का धंधा बेखौफ चल रहा है.इस बारे में पुलिस के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने पर वे एक दूसरे के खिलाफ दोष मढ़ते नजर आते हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि सरगांव रायपुर नेशनल हाइवे में किरना गांव के आसपास कोयला व्यापारी मोहन अग्रवाल कुछ साल पहले तो झोपड़ियों में किराये के जमीन पर कोयले का कारोबार करते थे जो आज बड़े बड़े जमीनों के मालिक बन कर वहाँ माफिया बन बैठे हैं. यूँ कहे तो आज करोड़ों अरबों के जमीन के मालिक बन गये हैं.इस इलाके में बड़े बड़े बाड़ा बनाकर  क्रेशर और ढाबा की आड़ में ट्रकों में भर भर अपने  डम्पिंग यार्ड (बाड़ा) में सही कोयला खाली करा कर के खराब कोयला या काले पत्थरों के टुकड़ों को भर रवाना कर दिया जाता हैं जिससे कि सरकार और कोयला खरीदने वाले दूसरे उद्योगपतियों को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है.
बता दे कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोहन अग्रवाल ने काले गिट्टी की खदान (क्रेशर) का उपयोग तो सिर्फ कोयले को उतारकर काले पत्थरों को भरने के काम मे लाने के लिए ही लगाया गया है.ये लोग जिस बेखौफ तरीके से काम कर रहे हैं वहाँ सामान्य लोगो का जाना बहुत ही मुश्किल भरा है,कुछ एक बार पत्रकारों ने इस काले कारोबार को कवर करने के लिहाज से इन स्थानों का दौरा किया,तो कोल माफिया के गुंडों ने हमला भी किया है और पत्रकारों के खिलाफ पुलिस में झूठी शिकायत भी कराई गई. अवैध रूप से संचालित कोयले के कारोबार के खिलाफ नगर पंचायत सरगांव के कुछ जन प्रतिनिधियों द्वारा भी कई बार शिकायत की जा चुकी है,लेकिन सिर्फ लीपापोती के अलावा कोई कार्रवाई नही हो पाती जिनके कारण इनके हौसले बुलंद हैं.
देखें वीडियों जहां से कोयले का काला कारोबार संचालित होता है..
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