रायपुर। बस्तर की संस्कृति और कला को संरक्षित करने और लोकप्रिय बनाने का जिम्मा युवाओं पर है. यह बात छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और बस्तर रियासत के मुखिया महाराजा कमल चंद्र भंजदेव ने “इमर्जिंग चैलेंजेस फॉर द आर्ट एंड कल्चर ऑफ बस्तर” विषय पर फुलवारी शिक्षण एवं युवा कल्याण समिति और यूथफुल इंडिया की ओर से आयोजित ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के साथ देशभर से शामिल हुए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही.

भंजदेव ने युवाओं को बस्तर के गौरवशाली इतिहास से परिचित कराते हुए बस्तर की विलक्षण संस्कृति और बेहतरीन कला के बारे में जानकारियां दी. ऐतिहासिक घटनाओं पर बात करते हुए महाराजा कमल चंद्र भंजदेव ने प्रतिभागियों को बस्तर की घड़वा, ढोकरा और टेराकोटा समेत अन्य शिल्प कला से परिचित कराया. साथ ही उन्हें इन कलाओं के संरक्षण में किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारियां दी. बस्तर की प्राचीन और गौरवशाली संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए महाराजा बस्तर ने बस्तर दशहरा, बस्तर की प्राचीन देव गुड़ियों समेत माई दंतेश्वरी के किस्से साझा किए.

बस्तर महाराजा ने मैसूर और कुल्लू के दशहरे का उदाहरण देते हुए यह बताया कि विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरे से ज्यादा भव्य आयोजन बस्तर दशहरे का होता है, और यह दशहरा विश्व का सबसे लंबी अवधि तक चलने वाला त्योहार है. बावजूद इसके बस्तर की संस्कृति और कला को विश्व में ख्याति नहीं मिल पाना खेदजनक है. बस्तर राजवंश ने हमेशा से ही आदिवासियों की संस्कृति, आदिवासियों के हितों का संरक्षण करने में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया है. लेकिन इन चीजों में सबसे बड़ी जिम्मेदारी बस्तर के आदिवासी और बस्तर के युवाओं की ही है उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए उसका निर्वहन करने के लिए खुलकर आगे आना होगा. तब जाकर ही बस्तर विश्व मंच में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना पाएगा.

महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने बस्तर समेत तमाम आदिवासी क्षेत्रों में हो रहे धर्मांतरण पर भी चिंता जताते हुए उसके निराकरण की ज़रूरत पर भी बात की. उन्होंने बस्तर की संस्कृति और बस्तर की कलात्मक चीजों के प्रचार प्रसार में नक्सलवाद, धर्मांतरण और और पाश्चात्य संस्कृति के अंधाधुंध अनुकरण को एक बड़ा रोड़ा बताया.

देशभर से जुटे युवा और शिक्षाविदों ने पूछे सवाल

कॉन्फ्रेंस में देशभर से जुड़े प्रतिभागियों ने भी महाराजा बस्तर से अपने सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासा शांत की. प्रोफ्रेसर शिप्रा सागरिका ने राजवंशों में उत्तराधिकार से जुड़ा प्रश्न पूछा जिसपर उन्होंने पुरी राजवंश और बस्तर रियासत के साथ अन्य राजवंशों का उल्लेख करते हुए जवाब दिया. उन्होंने बताया कि राजवंशों में उत्तराधिकार के लिए राजकुमारों और राजकुमारियों को बराबरी का दर्जा हासिल होता है.

कोरोना ने सिखाया जीने का नया तरीका

महाराजा बस्तर ने महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की स्मृति में बनाई गई प्रवीर सेना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रवीर सेना के तत्वावधान में बस्तर क्षेत्र की आदिवासी संस्कृति आदिवासी परंपरा और बस्तर की देव गुड़ियों को संरक्षित करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं. वे स्वयं बस्तर के गांव-गांव में जाकर आदिवासी संस्कृति की अलख जलाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं..

कोरोनाकाल में भी भव्य दशहरा आयोजन का प्रयास

महाराजा बस्तर ने बताया कि बस्तर दशहरे के भव्य आयोजन पर कोरोना वायरस के बाद बिगड़े हालातों से उपजे खतरे के बावजूद बस्तर का प्रशासन और बस्तर राजवंश प्रयासरत है कि विषम परिस्थितियों में भी बस्तर दशहरे का आयोजन उसी भव्यता के साथ किया जा सके.