रायपुर। नीति आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य की एक बार फिर सराहना की है. नीति आयोग ने प्रदेश के नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल आकांक्षी जिला नारायणपुर के नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में जिला प्रशासन एवं गांव के शिक्षित युवक-युवतियों की सामुदायिक सहायता से संचालित ’पढ़ई तुंहर दुआर’ योजना की सराहना की है. यहां सामुदायिक भवन और घर के बरामदे में कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है. नीति आयोग ने नारायणपुर जिले में राज्य शासन की पढ़ई तुंहर दुआर योजना के तहत कोरोना काल में बच्चों तक शिक्षा पहुचाने की प्रशंसा करते हुए इसे अपने अधिकारिक ट्विटर हेण्डल से ट्वीट किया है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से कोरोना की इस विषम परिस्थिति में भी बच्चों तक सुलभ और सुचारू शिक्षा के लिए ऑनलाईन शिक्षा व्यवस्था के रूप में ’पढ़ई तुंहर दुआर’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस व्यवस्था के तहत प्रदेश के करीब 22 लाख छात्र-छात्राएं और करीब 2 लाख शिक्षक अध्ययन-अध्यापन से जुड़े हुए हैं.
नीति आयोग ने नारायणपुर जिले में सामुदायिक सहायता से चलाए जा रहे राज्य शासन की "पढ़ई तुंहर दुआर" कार्यक्रम की सराहना की।
"गढ़बो नवा छत्तीसगढ़" @NarayanpurDist https://t.co/sF0oMEb4LD
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) August 28, 2020
इस अभियान की सफलता में कई चुनौतियां भी है, मसलन एन्ड्राइड मोबाइल, मोबाइल डाटा आदि की उपलब्धता. घर में ये साधन हो भी तो बच्चों के लिए इनकी उपलब्धता और सबसे बड़ी बात समाज और अभिभावकों की सहभागिता. राज्य शासन द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई के अतिरिक्त शिक्षकों के द्वारा समुदाय की सहभागिता से कई नवाचार भी वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में किए गए हैं, इसमें गांव और मोहल्ले में समुदाय की सहायता से बच्चो की सीखने की व्यवस्था, लाउडस्पीकर तथा बुलटू के बोल के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था की गई है, ताकि बच्चों को ऑनलाइन के बिना भी आसानी से सुचारू शिक्षा उपलब्ध हो सके. पढ़ई तुंहर दुआर योजनांतर्गत बहेबीववसण्पद पोर्टल पर नारायणपुर जिले के 5930 विद्यार्थी एवं 1380 शिक्षक पंजीकृत हैं. वही पारा-मोहल्ला तथा लाउड स्पीकर से संचालित कक्षा में 4299 विद्यार्थियों को सुचारू शिक्षा प्रदान की जा रही है.