- बुर्कापाल नक्सल हमले पर विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव पेश किया
- विधानसभा अध्यक्ष ने 3 बजे चर्चा कराने का वक़्त निर्धारित किया
रायपुर- सुकमा के बुर्कापाल में हुए नक्सल हमले में 25 जवानों की शहादत के बाद सरकार इस बात को लेकर अपनी पीठ ठोक रही है कि इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक पुलिस-नक्सल के बीच हुए 63 मुठभेड़ों में 32 माओवादियों को मारा गिराया।
बुर्कापाल नक्सल हमले में जवानों की शहादत के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा की विशेष बैठक में भी ये मुद्दा जोरशोर से उठा। विपक्ष ने सरकार की नक्सल नीति पर सवाल उठाया। विपक्ष ने बुर्कापाल की घटना को सुरक्षा में बड़ी चूक मानते हुए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की। विपक्ष की मांग के बीच गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने घटना को लेकर वक्तव्य दिया।
पैकरा ने सदन में बताया कि 24 अप्रैल की सुबह 6 बजे सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन की सी एन्ड डी कंपनी कल्वर्ट निर्माण को सुरक्षा देने रवाना हुई थी। एरिया डोमिनेशन के बाद काम शुरू हुआ। 12.55 बजे 70 से 80 हथियारबंद माओवादी, तीर कमान से लैस जन मिलिशिया के सदस्यों के साथ अचानक हमला बोल दिया। सीआरपीएफ के जवानों ने बहादुरी से माओवादियों को जवाब दिया। 3 घंटे तक हुई मुठभेड़ में 24 जवान मौके पर ही शहीद हो गए और 8 घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए रायपुर भेजा गया। बाद में एक घायल जवान भी शहीद हो गया। माओवादियों ने जवानों के 23 हथियार, 5 वायरलेस सेट के साथ 22 बुलेट प्रूफ जैकेट लूट लिया।
गृहमंत्री ने विपक्ष के तमाम आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही दोरनापाल- जगरगुंडा- इंजरम- भेज्जी मार्ग पर अपना प्रभाव बना रखा है। पुलिस हाउंसिंग कॉर्पोरेशन चुनौती लेकर यहां सड़क निर्माण करा रहा है। जून 2017 तक सड़क पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया था पैकरा ने कहा इस घटना के जरिये माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में विकास की दृढ़ इच्छाशक्ति को प्रभावित करना चाहते हैं।
माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में सफलता मिलने का दावा!
– गृहमंत्री पैकरा ने कहा कि साल 2016 में सुरक्षा बलों ने 210 मुठभेड़ों में 135 माओवादियों को मार गिराया।
– इस साल ही 967 माओवादियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
– साल 2016 में 292 आईईडी जिसका कुल वजन डेढ़ टन है बरामद किया गया।
– 2017 की शुरुआत से लेकर अब तक हुए 63 मुठभेड़ों में 32 माओवादी मारे गए। 58 हथियार बरामद किए गए।
– 600 किलोग्राम के 114 आईईडी बरामद किया गया।
– 2014 से लेकर अब तक 2218 माओवादियों ने आत्मसर्पण किया।
पैकरा इन तमाम दलीलों के साथ कह रहे हैं कि रमन सरकार की नक्सल नीति सफल है। हालांकि जिस तरीके से सरकार के माओवादियों के खिलाफ चलाये जा रहे ऑपरेशन पर विपक्ष ने सवाल खड़े किया है, उससे उबरने गृहमंत्री का ये जवाब क्या चूक पर पर्दा डालने वाला है?