रायपुर। आज आस्था के महापर्व छठ का तीसरा दिन है. 4 दिनों तक छठ महापर्व को मनाया जाता है. आज छठ महाव्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी. इसे लेकर नदी और तालाबों के घाटों को सजा लिया गया है. ये त्योहार खास तौर पर देश के पूर्वांचल हिस्से का है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में पूरे देशभर में इसे मनाया जाने लगा है.
जिन राज्यों में भी पूर्वांचल के लोग बसे हुए हैं, वहां छठ व्रत धूमधाम से मनाया जाता है. छठ के लिए शहर की सड़कों को धोकर साफ कर लिया जाता है, क्योंकि कई छठ व्रती जमीन पर लेट-लेटकर घाटों तक पहुंचती हैं. वहीं शहरों में घाट तक जाने वाले रास्तों में खूब सजावट भी की जाती है. कई छठ व्रती अब नदी और तालाबों के घाटों पर न जाकर घर में ही गड्ढा खोदकर छठ व्रत करती हैं. इसके लिए कुछ लोग घर में ही गड्ढा खोदकर घाट बनाते हैं, उसे केले के पत्तों और इलेक्ट्रॉनिक बल्ब से सजाते हैं.
वहीं कई जगहों पर पूरा मोहल्ला भी एक साथ छठ करता है. ऐसे में मोहल्ले में ही एक जगह लंबा और बड़ा से गड्ढा खोदकर और उसमें पानी भरकर घाट बनाते हैं. इसमें मोहल्ले की सभी छठ व्रती पानी में खड़े होकर डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
छठ है एकता की मिसाल
छठ आपसी सौहार्द्रता और एकता की भी मिसाल है. इसमें सभी धर्म के लोग एक-दूसरे को सहयोग करते हैं. साथ ही छठ के नाम पर कभी कोई ना नहीं कहता. जिन लोगों के छठ नहीं भी होता है, वे भी दूसरों के घरों में प्रसाद बनाने और घाटों तक सामान ले जाने में मदद करते हैं.
कुल मिलाकर जो जितना समर्थ होता है, वो अपनी क्षमता के मुताबिक छठ महापर्व को पूरा करने में सहभागी होता है.