कोरोनाकाल में भी निजी अस्पतालों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. मेरठ के गौहर हॉस्पिटल प्रशासन ने डिलीवरी के दौरान नवजात बच्चे की मौत के बाद उसकी मां को बंधक बना लिया. नवजात की लाश उसकी नानी को सौंपकर 20 हजार रुपए जमा करने पर ही मां को डिस्चार्ज करने की शर्त रख दी. नानी अपने मृत धेवते की लाश लेकर शहर की सड़कों पर मदद के लिए धक्के खाती रही. बाद में स्वास्थ्य विभाग के दो अफसरों ने बिल माफ कराकर महिला को डिस्चार्ज कराया. पूरे मामले में जांच कमेटी बना दी गई है.

मेरठ के हापुड़ चुंगी के पास गौहर हॉस्पिटल है. खरखौदा क्षेत्र में गांव पीपलीखेड़ा के मुबारिक ने पत्नी गुलशन को प्रसव पीड़ा होने पर आठ सितंबर को भर्ती कराया. आरोप है कि डॉक्टर की बजाय स्टाफ नर्स से डिलीवरी कराई गई और नवजात बच्चे की मौत हो गई. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया. उनकी नहीं सुनी गई. थक-हारकर परिजनों ने गुलशन को डिस्चार्ज करने के लिए कहा तो अस्पताल ने 20 हजार रुपए बकाया बिल भरने की शर्त रख दी.

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्ट बोल दिया कि 20 हजार रुपए न देने तक गुलशन उनके यहां बंधक रहेगी. गुलशन की मां अपने मृत धेवते को गोद में लेकर कमिश्नरी चौराहा पहुंच गई. वह बुरी तरह रो रही थी. काफी कुरेदने के बाद जब उसने बताया कि बच्चा मृत है, तो सुनकर सबके पैरों तले जमीन खिसक गई. बोली, अस्पताल वाले उनकी बेटी को डिस्चार्ज नहीं कर रहे.

मीडिया रिपोर्ट्स के बाद यह मामला सीएमओ डॉ राजकुमार के संज्ञान में आया. सीएमओ के निर्देश पर एसीएमओ डॉ जीके मिश्रा और डिप्टी सीएमओ डॉ अशोक निगम गौहर हॉस्पिटल में पहुंचे. पूरा बिल माफ कराते हुए महिला को डिस्चार्ज कराया.