रायपुर। मरवाही उपचुनाव के बीच एक बार फिर जोगी परिवार के जाति का मामला गरमा गया है. अमित जोगी के चुनाव मैदान में उतरने से पहले उसके जाति मामले को उठाया जा रहा है. इसी बीच उनकी पत्नी ऋचा जोगी की जाति को लेकर कांग्रेस नेता संतकुमार नेताम ने सवाल उठाया है. नेताम ने कहा कि अकलतरा विधानसभा चुनाव में उन्होंने सामान्य बताकर चुनाव लड़ा था, अब उन्होंने अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया है, जो पूरी तरह से फर्जी.

कांग्रेस नेता संतकुमार नेताम ने कहा, ‘ऋचा जोगी की जाति मामले को लेकर मैंने  28 सिंतबर को मुंगेली कलेक्टर के समक्ष शिकायत की है. 18 बिंदुओं में मैंने जांच की मांग की है. ऋचा जोगी की जाति पूरी तरह से फर्जी है. इस मामले में जांच कर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए’.

कलेक्टर पीएस एल्मा ने कहा ‘जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत आई है. मामला जिला छानबीन समक्ष है. समिति ने जांच शुरू कर दी है’.

इस मामले पर अमित जोगी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ‘जब मेरी धर्मपत्नी डॉक्टर ऋचा जोगी का पैतृक परिवार कम से कम पांच दशकों से अनुसूचित जनजाति वर्ग से सरकारी नौकरियां करते आ रहा है, तब तो किसी को उनकी जाति की याद नहीं आई. आज ऋचा का केवल एक ही दोष है कि वो स्वर्गीय अजीत जोगी जी और डॉक्टर रेनु जोगी जी की बहु,मेरी धर्मपत्नी और मेरे दो महीने बेटे की मां है. जब मेरा पिता जी और मुझसे नहीं निपट पा रहे हैं तो अब मेरे दूध पीते बेटे की मां के पीछे नहा धो के पड़ गए है. कांग्रेस और भाजपा जोगी परिवार के सामाजिक सम्मान की हत्या करने के लिए किसी हद तक भी जा सकती है. अपनी बहू की इज्जत में हाथ डालने वालों का जवाब अब मरवाही देगा’.

बता दें कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रत्याशी अमित जोगी के जाति मामले में पेंच फंसने पर उनकी पत्नी ऋचा जोगी को चुनाव मैदान में उतारने के कयास लगाए जा रहे हैं. ऋचा जोगी को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा को ढाई माह पहले उनके अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनाए जाने से बल मिला है. ऋचा जोगी की अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र 17 जुलाई 2020 को जरहागांव जिला मुंगेली के तहसीलदार द्वारा जारी किया गया है.

प्रमाण पत्र जुलाई में आनन-फानन में बनवाया गया था. उनकी जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन 15 जुलाई की शाम 6 बजे जरहागांव तहसीलदार चित्रकांत चाली ठाकुर के दफ्तर में दिया गया. 17 जुलाई को जरहागांव तहलीलदार चित्रकांत चाली ठाकुर ने ऋचा रुपाली साधु पिता प्रवीण राज साधु, निवासी पेंड्रीडीह तहसील जरहागांव जिला मुंगेली के नाम से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया. ऋचा जोगी अकलतरा से चुनाव लड़ चुकी है. उस समय उन्होंने जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवाया था.

इन 18 बिंदुओं में की शिकायत-

दिनांक 17 जुलाई 2020 को ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत ऋचा रूपाली साधु उर्फ ऋचा एश्वर्य जोगी को गोंड़ अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र अनुविभागीय अधिकारी मुंगेली के द्वारा जारी किया गया है। मैं यह शिकायत पेश कर रहा हूं कि उक्त जाति प्रमाण पत्र गलत तथ्यों और प्रक्रियागत त्रुटी के आधार पर जारी हुआ है। वास्तव में ऋचा रूपाली साधु उर्फ ऋचा एश्वर्य जोगी गोंड जनजाति की सदस्य नहीं है। मैं निम्न बिन्दुओं के आधार पर जारी जाति प्रमाण पत्र की जांच और सत्यापन की मांग कर रहा हूं। 1. आवेदन पत्र ऑनलाइन फार्मेट में है अर्थात इस आवेदन में आवेदक के हस्ताक्षर नहीं है

और फोन नंम्बर और ई मेल आई डी किसी अन्य व्यक्ति की है। आवेदन पत्र के साथ संलग्न शपथपत्र में ऋचा रूपाली साधु नाम से आवेदन है जबकि हस्ताक्षर में आर जोगी लिखा हुआ है। शपथ पत्र के कंडिका 2 में शपथकर्ता ने किन दस्तावेजों की नकल प्रस्तुत की है उसका उल्लेख न करते हुए केवल आवश्यक दस्तावेज लिख दिया है यह हस्ताक्षर भी ऋचा जोगी द्वारा अकलतरा चुनाव के वक्त भरे नामांकन शपथ पत्र से अलग है। चुनाव आयोग की वेबसाइट से ऋचा एश्वर्य जोगी द्वारा अकलतरा विधानसभा के लिए भरा गया शपथ पत्र साथ में संलग्न है। इस शपथ पत्र में ऋचा जोगी का मोवाइल नंम्बर 09407970007 अंकित है और साथ ही ईमेल आई डी [email protected] अंकित है। इसके विपरीत आवेदन प्रारूप में दिया हुआ मोवाईल नंबर और ईमेल आई डी किसी गिरधर मानिकपुरी का है ।

  1. प्रारूप 1 (क) के तहत भरा जाने वाला आवेदन पत्र अधूरा है, आवेदन में आधार कार्ड नंवर का उल्लेख भी नहीं है। आवेदक महिला है परन्तु आवेदन पत्र में पति का नाम नहीं दिया गया है। आवेदक का पता ग्राम पेन्ड्रीडीह तहसील मुंगेली दर्शाया गया है और परिवार के मुखिया के रूप में स्वयं ऋचा रूपाली साधु का नाम लिया गया है। आवेदन में आवेदक को पहले भी जाति प्रमाण पत्र जारी होने संबंधी कॉलम में (हॉ) लिखा है परन्तु उसका कोई व्यौरा अगले कॉलग में नहीं दिया गया है। जाति/निवास साबित करने वाले किस दस्तावेज का अवलंबन लिया गया है उसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। आवेदन पत्र में आवेदक के हस्ताक्षर भी नहीं है।
  1. नोटरी मुंगेली के समक्ष भरे गये शपथ पत्र में ऋचा रूपाली साधु ने स्वयं को गोंड

अनुसूचित जनजाति का बताते हुए पेन्डीडीह मुंगेली का स्थायी निवासी घोषित किया है परन्तु शपथ पत्र के कंडिका 1 में उक्त ग्राम में कृषि भूमि न होने संबंधी जानकारी दी है । हस्ताक्षर में लिखा आर जोगी, ऋचा जोगी द्वारा अकलतरा चुनाव के वक्त भरे नामांकन शपथ पत्र हस्ताक्षर से अलग है. इसमे अलग हस्तलिपि से आर.ए जोगी हस्ताक्षर है।

  1. आवेदन पत्र के साथ संलग्न पटवारी जांच प्रतिवेदन श्रीमति रश्मि कांता नाम के

आवेदक का है। जो कि 01/05/2018 तिथि को पटवारी एम.के.पाण्डेय द्वारा जारी किया गया प्रतीत होता है। इस जांच प्रतिवेदन में रश्मि कांता की जाति गोड़ अंकित की गई है। परन्तु उसके निवास का पूरा पता ही नही दिया गया है। पटवारी जांच प्रतिवेदन के कॉलम 2. 3. 4. में आवेदक के जन्म और 1950 के पूर्व उसके माता पिता कहा निवास करते थे इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं दी गई । पटवारी प्रतिवेदन के कंडिका 4, 5 में वर्तमान निवास और स्थायी पते की जगह केवल भिलाई लिखा हुआ है। कॉलम 6 में आवेदक रश्मि कांता ने स्वयं को परिवार का पालक दर्शाया है। कॉलम 7 में आवेदक कितना पढ़ा लिखा और स्कूल में क्या जाति लिखी है उस स्थान पर संदर्भित जानकारी के बजाये पुत्र ऋषभ और पुत्री ऋचा लिखा हुआ है कॉलम 8 में परिवार का राशन कार्ड नहीं होने की जानकारी है परन्तु उसका कारण नहीं लिखा है। कॉलम 9 में स्वयं के मकान होने की बात कही गई है।

  1. पटवारी जांच प्रतिवेदन कॉलम 10 एवं 11 में कृषि से आय होना बताया गया है।

कॉलम 12 में 0.077 हेक्टेयर भूमि होना अंकित है कॉलम 13 से 17 तक कोई जानकारी नही दी गई है जिसमें मिसल बंदोबस्त में जाति की जानकारी होना शामिल था। अन्त में आवेदक के बताये अनुसार तैयार किया गया ऐसा लिखा गया है। स्पष्ट रूप से पटवारी प्रतिवेदन जो कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक अत्यन्त महत्वपूर्ण जांच प्रतिवेदन है, पूर्णतः लापारवाही पूर्वक और त्रुटी पूर्ण तरीके से जारी किया गया है। यह और भी उल्लेखनीय है कि 01/05/2018 को जारी यह जांच प्रतिवेदन रश्मिकांता के लिए तैयार किया गया था न कि ऋचा रूपाली साधु के लिए अर्थात् ऋचा रूपाली साघु के प्रकरण में कोई भी पटवारी जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसके बाद भी जाति प्रमाण पत्र का जारी होना स्पष्ट त्रुटी दर्शाता है।

  1. प्रकरण में प्रस्तुत स्थल जांच पंचनामा भीरमा रूपाली साधु के लिए तैयार किया गया प्रतीत नही होता है. वस्तुतः उक्त पंचनामा पा सुशील साधु के नाम पर है जिसकी बहन के रूप में बचा रूपाली को दर्शाया गया है। उक्त स्थल जांच पंचनामा में बना हुआ यशवृक्ष आवेदक के बताये अनसार है। इस वंश वृक्ष में प्रवीण राज साधू पिता सुशील कुमार पिता वर्णवास सारा पिता प्रशदास का वंश वृक्ष दर्शाया गया है। प्रकरण में 1927-28 का मिसल बंदोबस्त का नकल संलग्न है जिसमे यह स्पष्ट किया गया है कि ग्राम पेन्द्रीडीह पटवारी हल्का 041 तहसील व जिला मुंगेली में प्रवीण राज आत्मज सुशील कुमार आत्मज बी साप आत्मज प्रभु दास गोंड़ का नाम दर्ज नहीं है। उक्त सत्य प्रतिलिपि 13/04/2018 को जारी की गई दर्शित है। मिसल बंदोवस्त में स्पष्ट रूप से यह परिवार पेन्ड्रीडीह मूल निवासी नहीं होना साबित होता है।
  1. प्रकरण के साथ प्रस्तुत अधिकार अभिलेख की नकल जो कि 1954 की बाद की है में

ग्राम पेन्ड्रीडीह के अधिकार अभिलेख में बी साधु पिता प्रभुदास साकिन मुंगेली भूमि स्वामी के रूप में दर्ज है इस अधिकार अभिलेख में भी प्रभु दास की जाति गोंड अंकित नहीं है। इससे केवल इतना पता लगता है कि 1950 के किसी समय बी साधु ने (पूरा नाम नही) ग्राम पेन्ड्रीडीह में जमीन खरीदी।

  1. प्रकरण में ग्राम पेन्ड्रीडीह के खसरा नम्बर 32/1 जो कि अधिकार अभिलेख में दर्शित

खसरा 32 का भाग है, की बी-1 किस्तबंदी खतौनी की नकल साथ में संलग्न है इसमें भूमि स्वामी ऋषभ सुशील साधु, ऋचा रूपाली साधु आदि का नाम दर्ज है परन्तु जाति में कॉलम खाली है और गोंड़ अंकित नहीं है।

  1. प्रकरण में ऋचा रूपाली साधु ने सेकेण्डरी स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल की अंक

सूची संलग्न की है उक्त दोनों में कही भी ऋचा रूपाली साधु को गोंड, आदिवासी

नहीं दर्शाया गया है। 10. प्रकरण में एक बैनामा का प्रथम पृष्ठ का अधूरा फोटोकॉपी संलग्न है जिसमें खरीदार

के नाम पुष्पराज साधु पिता सुशील कुमार साधु के आगे जाति गोंड़ शब्द लिखा हुआ है। प्रथम तो उक्त दस्तावेज अधूरा होने के कारण ग्राह्य नहीं है वही गोंड शब्द अन्य सभी लाईन के टाइपिंग मार्जिन के बाहर टाइप हुआ दिखाई दे रहा है जिससे कि उक्त दस्तावेज और भी संदेहास्पद हो जाता है।

  1. प्रकरण में ऋषम सुशील साधु के नाम पर जारी दिनांक 23 अगस्त 2019 का जाति प्रमाण पत्र संलग्न किया गया है। मेरे द्वारा उक्त प्रकरण की नकल भी निकाली गई थी। इस प्रकरण में भी ऑनलाइन पद्धति से आवेदन प्रस्तुत किया गया है जिसमें आवेदक के हस्ताक्षर नहीं है। यह आवेदन भी ई मेल के कॉलम में किसी गिरधर मानिकपुरी का ही है जो यह सावित करता है कि आवेदन स्वयं आवेदक द्वारा नहीं भरा गया है। इस आवेदन में भी आधारावर का उल्लेख नहीं है। आवेदक ग्रा.पम सुशील साधु को ही परिवार का मुखिया धोपित किया गया है और 1987 में जन्म से 2019 तक ग्राम पन्हीडीह का निवासी बताया है जबकि उसके पिता वन विभाग गरेन्जर के पद में होने के कारण हमेशा बाहर निवास किये है। इस बात का दावा किया गया है कि आवेदक को पूर्व में ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है परन्तु उसका कोई भी ब्यौरा आवेदन में नहीं दिया गया है। संलग्न दस्तावेजों में कौन सा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है इसका भी कोई उल्लेख स्पष्ट रूप से नहीं है।

12 ऋषभ सुशील साधु के प्रकरण में भी ऋचा रूपाली साधु के प्रकरण में उपयोग किया

गया पटवारी जांच प्रतिवेदन और स्थल जांच पंचनामा लगाया गया है जो कि क्यों त्रुटीपूर्ण है यह मैं पूर्व में ही उल्लेख कर चुका हूं साथ में संलग्न 1927-28 का मिसल

और 54-55 का अधिकार अभिलेख वहीं दस्तावेज है जो ऋचा रूपाली साधु के प्रकरण में उपयोग किया गया है। इस प्रकरण में भी पेन्ड्रीडीह के खसरा नंम्बर 32/1 की किस्तबंदी खतौनी बी(1) की वही प्रति मजूद है जो कि ऋचा रूपाली साधु के प्रकरण में है। यही नहीं ऋषभ सुशील साधु के प्रकरण में 5वीं कक्षा की अंक सूची लगी हुई है जिसमें उसकी जाति क्रिश्चन दर्शायी गई है और गोंड़ शब्द नहीं लिखा है ऋषम सुशील के प्रकरण में नोटरी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने वाला शपथ पत्र भी नहीं है. अर्थात् उसके द्वारा गोंड जनजाति का होने संबंधी घोषणा ही नहीं की गई है।

  1. ऋथा रूपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु दोनों ने ही अपने प्रकरण में स्वपनिल पिता पुष्पराज साधु को दिनांक 01/08/2011 को जारी किया गया गॉड़ जनजाति का जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। उक्त प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत है अर्थात् ऋचा रूपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु के प्रकरण में जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उसे आधार नहीं माना जा सकता विशेष कर उस स्थिति में जब स्वयं ऋचा रूपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु में मिसल दस्तावेज, अधिकार अभिलेख स्कूल की अंकसूचिया आदि कही भी उनके गोंड होने की पुष्टि नहीं करती है।
  2. ऋचा रूपाली साधु और ऋषम सुशील साधु के पिता वन विभाग में रेन्जर के पद पर

कार्यरत थे उनके नाम पर कभी भी गोंड़ जाति का जाति प्रमाण पत्र जारी नही किया गया है।

  1. ऋचा रूपाली साधु, ऋचा ऐश्वर्य जोगी के नाम से 2018 में अकलतरा विधानसभा का

चुनाव लड़ चुकी है उस वक्त उनके द्वारा प्रस्तुत गुनाग नामांकन पत्र में ग्राम डोमनपुर तहसील मुंगेली में खसरा नं08/4,0/2 और 162/6 एवं 13 के तहत लगभग 24 हेक्टेयर भूमि अपने नाम पर होना दर्शाया है उक्त भूमि का किस्तबंदी खतौनी रिकॉर्ड भुईया वेबसाइट से निकाले जाने पर उक्त भूमि ऋषभ सुशील साधु और ऋचा रूपाली साधु के नाम पर दर्ज है उक्त दस्तावेज में जाति का कॉलम खाली है और कही भी गोंड़ दर्ज नहीं है। यही नहीं उक्त भूमि का चालू खसरा वेबसाइट से निकालने पर उसमें जाति का कॉलम खाली ही आता है और कही भी गोंड दर्ज नहीं है उक्त बी (1) में ऋषम सुशील और ऋचा रूपाली का निवास स्थान मोतिमपुर दर्शाया गया है अर्थात् इसमें पेन्ड्रीडीह अंकित नहीं है।

  1. अकलतरा चुनाव लड़ते समय ऋचा रूपाली साधु के द्वारा 2018 में 10000 रूपये की

जमानत राशि जमा की गई थी जो कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी होने पर जमा की जाती है अन्यथा एस.सी या एस.टी होने पर जमानत राशि आधी यानी 5000 रूपये लगती है।

  1. विश्वस्त जानकारी के अनुसार ऋचा रूपाली साधु, ऋषम सुशील साधु के द्वारा 18 जून

2010 को अपनी पैतृक जमीने ग्राम खाम्ही कुर्मी राजस्व निरीक्षक मण्डल जरहागांव तहसील मुंगेली में कई अन्य व्यक्तियों को बेची गई थी। इन सभी जमीनो को बेचने के दस्तावेजों में ऋषभ सुशील साधु और ऋचा रूपाली साधु दोनों ने ही अपने आप को गैर आदिवासी घोषित किया है। उपरोक्त सभी रजिस्ट्री दस्तावेज रजिस्ट्री कार्यालय में उपलब्ध है जिन्हें जाच में प्राप्त किया जा सकता है। इस शिकायत के साथ एक विक्रय विलेख (रजिस्ट्री) की प्रति संलग्न है इसमें विक्रेता ऋचा रूपावली उर्फ कुमारी ऋचा रूपाली आयु 25 वर्ष, लिंग स्त्री, पिता श्री प्रवीण राज, जाति ईसाई (जन्म से गैर आदिवासी) पेसा कृषि कार्य निवासी स्मृति नगर, कम्युनिटी एवेन्यू मंगल भवन के पीछे भिलाई जिला दुर्ग छत्तीसगढ़ अंकित है। यह रजिस्ट्री क्रमांक 1316 दिनांक 18 जून 2010 को उप पंजीयक बिलासपुर के कार्यालय में निष्पादित हुई है इसमें ऋचा रूपाली साधु का फोटो और अंगूठे का निशान भी दर्ज है। 18 जून 2010 को ऋचा रूपाली साधु की आयु 25 वर्ष अर्थात् बालिग थी और उन्होंने स्वयं यह घोषणा की है कि वह जन्म से गैर आदिवासी है। इस स्थिति में ऋचा रूपाली साधु को जारी किया गया गोंड़ जाति का जाति प्रमाण पत्र प्रथम दृष्ट्या गलत तरीके से हासिल किया गया साबित होता है। उक्त रजिस्ट्री की प्रति इस शिकायत के साथ संलग्न है।

  1. ऋचा जोगी के द्वारा अकलतरा विधानसभा चुनाव लड़ते वक्त दिनांक 27/10/2018 को 10000 रूपये (दस हजार रूपये) की जमानत राशि जमा की थी। यदि वो आदिवासी होती तो उन्हें 5000 रूपये (पांच हजार रूपये) जमा करना होता क्योंकि एससी/एसटी वर्ग के लिए जमानत राशि कम है। यह साबित करता है कि ऋचा रूपाली साधु उर्फ ऋचा जोगी आदिवासी वर्ग की व्यक्ति नहीं है। शिकायत के साथ उक्त रसीद की प्रति संलग्न है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि बचा रूपाली साधु और ऋषभ सुशील साधु गोंड़ जनजाति के व्यक्ति नहीं है और उन्होंने अपना जाति प्रमाण पत्र छल/कपट पूर्वक और अधिकारियों के त्रुटीवंश प्राप्त किया है जिसे अविलम्ब रद्द किया जाना न्याय हित में है। अन्यथा असली आदिवासियों के हितो पर नकसान होने की आशंका है