नई दिल्ली। ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर नागर विमानन मंत्रालय ने मसौदा तैयार कर लिया है. ड्रोन का इस्तेमाल करने के पहले अब विशिष्ट पहचान संख्या के साथ ही रेडियो आवृत्ति टैग की आवश्यकता होगी. मसौदे को अंतिम रुप देने के बाद देश में ड्रोन के वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति दे दी जाएगी.

डीजीसीए द्वारा तैयार नियमों के मुताबिक ड्रोन के लिए विशिष्ट पहचान संख्या की आवश्यकता होगी जबकि 250 ग्राम से कम भार वाले ड्रोन को विशिष्ट पहचान संख्या की आवश्यकता और एक बार अनुमोदन प्राप्त करने से छूट होगी.

नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने यहां संवाददाताओं से कहा, हम नियमों को उपयोगकर्ताओं के अनुकूल बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि आंतरिक रूप से व्यापक परामर्श के बाद मसौदा नियम तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि ड्रोन के लिए अंतिम और औपचारिक नागर विमानन आवश्यकताएं (सीएआर) दिसंबर के अंत तक पेश होने की उम्मीद है.

मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा, “मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि सभी ड्रोन यानी छोटे स्वचलित टोही विमान का परिचालन दृश्य दृष्टि, केवल दिन में और 200 फीट से नीचे होगा.” ड्रोन को पांच श्रेणियों में विभक्त किया गया है, जिनका भार 250 ग्राम से कम है उन्हें ‘नैनो’ के रूप में परिभाषित किया गया है. जिनका भार 250 ग्राम से 2 किलोग्राम तक है उसे ‘माइक्रो’ और 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम को ‘मिनी’ श्रेणी में रखा गया है. 150 किलोग्राम से कम वाले ड्रोन को ‘छोटे’ ड्रोन और उससे ज्यादा को ‘बड़े’ ड्रोन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

ड्रोन को विशिष्ट पहचान संख्या जारी की जाएगी और मिनी श्रेणी में आने वाले ड्रोनों को दूरस्थ पायलट अनुमोदन आवश्यकता का अनुपालन करना होगा. इसके साथ ही आरएफआईडी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से ड्रोनों के पहचान के लिए किया जाएगा. हवाई अड्डों के 5 किलोमीटर के दायरे के भीतर, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के दायरे और समुद्र तट के किनारे 500 मीटर (क्षैतिज) तक इन ड्रोन परिचालन पर रोक रहेगी. ड्रोन के विजय चौक से 5 किलोमीटर दायरे में परिचालन की अनुमति नहीं होगी.