रायपुर.    पब्लिक हेल्थ की महत्वता आज काफी बढ़ गई है.  स्वास्थ्यगत समस्याओं और स्वास्थ्य समधान के मद्देनजर राज्य सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों (संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं और संचालनालय चिकित्सा शिक्षा में कार्यरत हैं) के लिए “मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ” (एमपीएच) पाठ्यक्रम शुरू करने की स्वीकृति दी है.

 संचालनालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स), रायपुर को चिकित्सा संचालनालय और संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत कर्मियों हेतु उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रस्ताव दिया था, जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है.  जल्द ही रायपुर एम्स 2 वर्षीय उक्त पाठ्यक्रम में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू करेगा.

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प्रदेश के चिकित्सकों को सेवाकाल के दौरान ही उक्त पाठ्यक्रम में 2 साल अध्ययन की स्वीकृति मिलना, नींव का पत्थर साबित होगा.  अभी तक यह पाठ्यक्रम ओपन रूप से ही संचालित हो रहा था.  परंतु यह पहला अवसर होगा जब स्वासथ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में कार्य कर रहे चिकित्सक भी पब्लिक हेल्थ में मास्टर डिग्री हासिल कर विस्तृत सेवाएं प्रदान कर सकेंगे.  पब्लिक हेल्थ कैडर बनने से स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर संचालन, पॉलिसी एवं योजना के साथ ही सरकार को भी काफी मदद मिलेगी.  वैसे भी पब्लिक हेल्थ पाठ्यक्रम की महत्वता को कोरोनावायरस संक्रमण काल ने भली-भांति समझा दिया है.  यह पाठ्यक्रम राज्य के लिए फायदेमंद होगा . स्वास्थ्यगत समस्याओं, महामारी से लड़ने, गैर संचारी रोगों के कार्यक्रमों के संचालन और पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट प्लानिंग एवं पॉलिसी में भी मदद मिलेगी.

पब्लिक हेल्थ कॉडर समन्वयक एवं स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. कमलेश जैन ने बताया एमपीएच पाठ्यक्रम में सर्विस करते हुए अध्ययन करना , स्वास्थ्य के क्षेत्र में आने वाले समय में मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि दो साल का यह पाठ्यक्रम अभी तक सिर्फ ओपन सर्विस होल्डर्स (सभी के लिए) था.  यह पहला मौका है जब संचालनालय स्वास्थ्य संचालनालय और संचालनालय चिकित्सा शिक्षा के कार्यरत कर्मियों को उक्त पाठ्यक्रम में पढ़ने का मौका मिलेगा.  उन्होंने बताया अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ में आयोजित किए जा रहे मास्टर ऑफ हेल्थ पाठ्यक्रम में कुछ मापदंड निर्धारित किए गए हैं उसी के आधार पर अध्ययन की पात्रता होगी.

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डायरेक्टर एम्स रायपुर डॉ. नितिन एम. नागरकर ने बताया एम्स में पिछले वर्ष से उक्त पाठ्यक्रम शुरू किया गया है.  इस वर्ष स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ के अभ्यर्थियों के लिए 4 सीटें और शामिल की गई हैं.  इस तरह एमपीएच पाठ्यक्रम में अब कुल 10 सीट पर प्रवेश दिया जाएगा.

इन मापदंडों के पालन पर ही मिलेगा प्रवेश

पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित आरक्षण नीति लागू होगी, यानि वर्ष 2020 में सामान्य वर्ग के लिए 2, ओबीसी के लिए 1 तथा एसटी प्रतिभागी के लिए 1 सीट यानि कुल 4 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा.  इनमें से 3 सीट संचालनायल स्वास्थ्य सेवाएं स्तर से एवं 1 सीट संचालनालय चिकित्सा शिक्षा स्तर से भरे जाएंगे.

इन्हें होगी पात्रता

बैचलर ऑफ मेडिसीन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस),  बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस), प्रैक्टिश्नर इन मार्डन एंड होलिस्टिक मेडिसीन( पीएमएचएम)  वाले ऐसे प्रतिभागी जो संचालनालय स्वास्थ्य सेवा अंतर्गत सेवाएं दे रहे हों, ऐसे प्रतिभागी जिनके द्वारा मे़डिकल ऑफिसर( एमओ), एमओ-बीडीएस, आरएमए ( रूरल मेडिकल ऑफिसर) के पदों पर सेवा अवधि 5 वर्ष पूर्ण कर चुके हों, ऐसे अभ्यार्थी जिनकी सेवा अवधि एमपीएच पाठ्यक्रम पूर्ण करने के उपरांत कम से कम 5 वर्ष शेष होना चाहिए तथा संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं अथवा संचालनालय चिकित्सा शिक्षा से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त हों उन्हें पाठ्यक्रम में शामिल होने की पात्रता होगी.

चयन प्रक्रिया

पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा.  प्रवेश परीक्षा के पूर्व अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किया गया हो, शासन से स्वीकृति उपरांत चयनित अभ्यार्थी को शैक्षणिख अवकाश की पात्रता होगी.  उक्त पाठ्यक्रम में अध्ययन के लिए चयनित प्रतिभागियों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर द्वारा किसी भी प्रकार की स्टाइफंड (भत्ता) एवं हॉस्टल की सुविधा नहीं दी जाएगी.