नई दिल्ली। भारत सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा एक बड़ा निर्णय लेते हुए आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति प्रदान की है. इस संबंध में एक नोटीफिकेशन जारी कर आयुर्वेद के डॉक्टरों को जनरल सर्जरी के साथ नाक-कान-गला, आंख, हड्डी और दांत से जुड़ी सर्जरी का प्रशिक्षण देने के साथ इस प्रक्रिया को वैधानिकता प्रदान की गई है. आईएमए ने सरकार के इस फैसला पर अपना विरोध जताया है.
भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) संशोधन विनियम, 2020 के जरिए आयुर्वेद के पीजी कोर्स में अब सर्जरी को भी जोड़ा जाएगा. इसके मुताबिक आयुर्वेद के डॉक्टर हड्डीरोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-गला (ईएनटी) और दांतों से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे. हालांकि, सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. जयंत देवपुजारी ने कहा है कि आयुर्वेद संस्थानों में ऐसी सर्जरी पिछले 25 सालों से हो रही हैं. नोटिफिकेशन सिर्फ यह स्पष्ट करता है कि यह सर्जरी वैध हैं.
दूसरी ओर एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. पी रघुराम ने कहा कि जनरल सर्जरी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का अभिन्न हिस्सा है, जिसे आयुर्वेद से नहीं जोड़ा जा सकता है. आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में ट्रेनिंग को शामिल किए जाने से हासिल होने वाले एमएस (आयुर्वेद) जैसे टाइटल से मरीजों के सुरक्षा और देखभाल के मूलभूत मानकों को धक्का पहुंचेगा.वहीं आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा कहना है कि इससे चिकित्सा वर्ग में खिचड़ी जैसी स्थिति हो जाएगी. इस फैसले से देश में मिश्रित पैथी की वजह से देश में हाइब्रिड डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा.