रायपुर। राज्य में सरकार बदलने के बाद से औद्योगिक माहौल में बदलाव देखने को मिल रहा है. सरकार की नई औद्योगिक नीति से प्रभावित होकर प्रतिष्ठित औद्योगिक प्रतिष्ठान बस्तर से लेकर सरगुजा-जशपुर जैसे जिलों में भी उद्योग लगाने को आगे आ रहे हैं, जहां आज तक उद्योगों का नामों-निशान नहीं है. प्रदेश में औद्योगिकीकरण के इस नए दौर की सबसे बड़ी बात यह है कि रोजगार में स्थानीय लोगों को तवज्जों दी जाएगी.

प्रदेश का उद्योग विभाग में इन दिनों गतिविधियां तेज है. और हो भी क्यों न, रोजाना एक न एक उद्योग खोले जाने का प्रस्ताव जो सामने आ रहा है, वह भी किसी बाहरी औद्योगिक संस्थान से नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के औद्योगिक प्रतिस्थानों से, जो प्रदेश की बदली फिजा को भांपते हुए कारोबार में बढ़ोतरी देख रहे हैं. यही वजह है कि अब तक औद्योगिकी प्रतिष्ठानों से सरकार के 54 एमओयू हो चुके हैं, जिनमें से 20 पाइप लाइन में हैं. इन एमओयू के जरिए प्रदेश में 45 हजार करोड़ रुपए के प्लांट स्थापित किए जाएंगे.

केवल स्टील ही नहीं अन्य उद्योग भी दे रहे दस्तक

उद्योग विभाग के अधिकारी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ खनिज पदार्थ के मामले में धनाड्य है. प्रदेश में न केवल लौह अयस्क बल्कि कोयला भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है. यही वजह है कि स्टील उद्योग लगाने के लिए प्रदेश में माकूल माहौल है, लेकिन औद्योगिकीकरण के नए दौर में रायगढ़ से लेकर भिलाई-दुर्ग बेल्ट में नहीं बल्कि बस्तर, सरगुजा और जशपुर जैसे जिलों में स्टील प्लांट लगने जा रहे हैं. और केवल स्टील प्लांट ही नहीं बल्कि साइकिल, फार्मास्यूटिकल्स और डिफेंस सेक्टर से जुड़े प्लांट लग रहे हैं.

स्थानीय औद्योगिकी प्रतिष्ठानों पर भरोसे का है नतीजा

उद्योग विभाग के अधिकारी मानते हैं कि पूर्व में किए गए बाहरी कंपनियों से किए गए एमओयू केवल कागजों पर ही रह गए, धरातल पर नहीं आ पाए. स्थिति यह थी कि उन कंपनियों को मैसेज करने पर जवाब तक नहीं मिलता था. औद्योगिकीकरण के इस नए दौर की खास बात प्रदेश सरकार का स्थानीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर भरोसा है. स्थानीय औद्योगिक घरानों को नए उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसका सकारात्मक नतीजा देखने को मिल रहा है. प्रदेश में जितने में नए बड़े उद्योग लगने जा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर स्थानीय औद्योगिक घरानों के ही हैं.

स्थानीय युवाओं के लिए खुलेंगे रोजगार के अवसर

प्रदेश में खुलने जा रहे नए उद्योगों में बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने के पूरे अवसर है. प्रदेश सरकार ने अपनी ऩई औद्योगिक नीति में स्थानीय युवाओं को तवज्जों देने की बात कही थी. इसमें अकुशल श्रेणी में सौ प्रतिशत, कुशल में 70 प्रतिशत और प्रबंधन स्तर पर 50 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोजगार देना अनिवार्य किया गया है. इस तरह से बस्तर, सरगुजा, जशपुर जैसे जिलों में उद्योगों के खुलने से वहां के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर भी मुहैया होंगे.

माहौल बदलने का दिख रहा है असर

उद्योग विभाग के एडिशनल डायरेक्टर प्रवीण शुक्ला मानते हैं कि प्रदेश में उद्योग की स्थापना के लिए बाहरी की बजाए स्थानीय औद्योगिक घरानों को तवज्जों दिए जाने की वजह से सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है. एक समय ऐसा था जब एमओयू के बाद औद्योगिक प्रतिष्ठानों से संवाद करते थे, तो हमें प्रापर रिस्पांस नहीं मिलता था. नीतियों में बदलाव का असर यह हुआ कि आज स्थानीय उद्योगपति स्वयं हमारे पास प्रस्ताव लेकर आ रहे हैं. यही नहीं इन प्रस्तावों को हकीकत में तब्दील भी किया जा रहा है. वह दिन दूर नहीं जब ये उद्योग मूर्त रूप में नजर आने लगेंगी.