रोहित कश्यप, मुंगेली। भले ही 2018 में विधानसभा चुनाव को हुए दो साल पूरे हो गए है, लेकिन इस चुनाव में हार का सामना करने वाले कई प्रत्याशी अभी इस ज़ख्म को सीने में दबाए बैठे है. ये दर्द समय-समय पर सार्वजनिक रूप से झलक भी जाता है. ऐसा ही कुछ हुआ मुंगेली विधानसभा के कांग्रेस प्रत्याशी रहे राकेश पात्रे के साथ. भले ही वे हार की सदमे से बाहर निकल गए है हो लेकिन हार की वजहों अब तक नहीं भूल पाये है.

यही वजह है कि उनका दर्द एक बार फिर कृषि बिल के विरोध में आयोजित कार्यक्रम में एक बार फिर छलक गया. राकेश पात्रे ने चुनाव में भीतरघात करने वाले पार्टी के पदाधिकारियों को निकाल फेंकने की बात कह डाली.

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दरअसल, शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष स्वतंत्र मिश्रा के नेतृत्व में जिला कांग्रेस भवन में कृषि बिल के विरोध में प्रेस वार्ता आयोजित की गई थी. इस कार्यक्रम में मंच कुर्सी खाली पड़ी हुई थी. इस पर जब मीडिया ने सवाल किया तो राकेश पात्रे ने बताया कि जिले के संगठन प्रभारी सीमा वर्मा की प्रस्ताव पर जिला कांग्रेस कमेटी मुंगेली के द्वारा विधानसभा क्षेत्रों में जब तक कांग्रेस के विधायक नहीं बनेंगे, तब तक संगठन के कार्यक्रम में किसी भी पदाधिकारी के द्वारा मंच पर नहीं बैठने का दृढ़ संकल्पना है. जिसके बाद वे मुंगेली विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने पर भीतरघात करने वाले वाले पार्टी के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को संगठन से बाहर निकालने की जरूरत बताने लगे.

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जोगी को निकाला तो सरकार बनी उसी तरह यहां विधायक बनेगा

उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस कमेटी से अजीत जोगी को बाहर निकाला गया और राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई ठीक वैसे ही मुंगेली विधानसभा में अगर कांग्रेस का विधायक बनाना है तो पार्टी के प्रति दगाबाजी व विरोध करने वाले टिकट के लोभी और विपक्षी पार्टी के प्रत्याशियों से आर्थिक मदद लेने वाले पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं को जिले के संगठन प्रभारी व शीर्ष नेताओं को इस गंभीर विषय की समीक्षा करते निष्कर्ष पश्चात संगठन से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए.

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