सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। मैनपाट सरगुजिहा, भोजपुरी और तिब्बती संस्कृतियों का त्रिवेणी संगम है. यहां पहाड़, झरने, नदी, इमारती लकड़ी, वनौषधि पादप की समृद्धि ही नहीं बल्कि लोक कला और संस्कृति का गौरवशाली इतिहास है. यही कारण है कि विश्व पर्यटन के फलक पर मैनपाट पर्यटकों का पहली पसंद है. यह बात प्रदेश के गृह, धार्मिक न्यास एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने तीन दिवसीय मैनपाट महोत्सव के समापन पर कही.

गृहमंत्री साहू ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महोत्सव आयोजन का उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों एवं अपनी परम्पराओं को सहेजने के साथ युवाओं को अवगत कराना और समझाना भी है. मैनपाट की माटी में प्रभु श्री राम के चरण रज मिले हुए हैं. इन सब कारणों से छत्तीसगढ़ शासन ने यहां के निवासियों को रोजगार के साधन और अवसर उपलब्ध कराने के लिए कमलेश्वरपुर में 21 करोड़ की लागत से एथनिक रिजॉर्ट कार्य कराया जा रहा है. वन विभाग द्वारा भी यह के पर्यटन पाइंट में 3 करोड़ 50 लाख रुपये के विभिन्न विकास कार्य कराए जा रहे हैं.

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि मैनपाट महोत्सव आयोजन का उद्देश्य यहां के सीधे-साधे लोगों की जीवन संस्कृति, लोककला को आगे बढ़ाने के साथ ही रोजगार उपलब्ध कराना भी है. तीन दिन के आयोजन में लोगों ने मैनपाट को खूब अच्छी तरह से जाना और भरपूर मनोरंजन भी किया. उन्होंने कहा कि मैनपाट मे पर्यटन विकास के लिए बुद्धिष्ट सर्किट में जोड़ने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. इस अवसर पर गृहमंत्री ने संस्कृति मंत्री भगत की मांग पर मैनपाट में चिन्हांकित 14 नए पर्यटन पाइंट में पहुंच मार्ग के साथ अन्य विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव को तत्काल स्वीकृति देने की बात कही.