रायपुर। बसंत पंचमी के दिन आचार्य महाश्रमण जी के सानिध्य में शुरु हुए तेरापंथ धर्मसंघ के मर्यादा महोत्सव के पहले दिन रायपुर के जैनम मानस भवन में अनुशासन व्यवस्था का अनूठा नजारा देखने को मिला। हर वर्ष माघ शुक्ल पंचमी, षष्टमी एवं सप्तमी को आयोजित होने वाला यह महोत्सव अनुशासन, सेवा और मर्यादा का अनूठा उत्सव है। विश्व भर के संगठनों में अपनी उत्कृष्ट मर्यादा और सेवा व्यवस्था के कारण तेरापंथ धर्मसंघ की एक विशिष्ट पहचान है। तेरापंथ धर्मसंघ में 750 से अधिक साधु-साध्वी और लाखों श्रावक-श्राविकाएं एक गुरु के अनुशासन, निर्देशन में चलते हैं। तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य द्वारा प्रारंभ किया गया यह महोत्सव तेरापंथ के प्रथम आचार्य श्री भिक्षु द्वारा लिखित मर्यादाओं पर आधारित है। 250 से भी अधिक वर्ष पूर्व लिखी गयी मर्यादाएं आज भी इस धर्मसंघ का प्राण है। तेरापंथ के 11वें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण द्वारा मर्यादा पत्र की स्थापना एवं महोत्सव के शुभारंभ की घोषणा से समारोह का प्रारंभ हुआ।

आचार्य श्री ने कहा कि महोत्सव यूं तो अनेक होते हैं पर यह मर्यादाओं का महोत्सव है, विशेष महोत्सव है। मर्यादा के साथ अनुशासन, कर्तव्य की बात भी जुड़ी हुई है। अनुशासन, कर्तव्य एवं मर्यादा यह एक संगठन के लिए आवश्यक होते हैं। राष्ट्र के लिए भी यह चीजें उसकी सुरक्षा चिरंजीवीता के लिए आवश्यक है। लोकतंत्र हो या राजतंत्र प्रणाली कोई भी हो लक्ष्य सबका एक है कि प्रजा की व्यवस्था रहे, सेवा हो और प्रजा सुख शांति से रहे। मर्यादा, कर्तव्य और अनुशासन के बिना लोकतंत्र का देवता विनाश को प्राप्त होता है। अनुशासन ऐसा तत्व है जो ठीक रास्ते पर चलाने वाला होता है। अनुशासन सब को सुरक्षित रखता है। यह महोत्सव भी इन्हीं तत्वों पर आधारित है। आचार्य भिक्षु ने जो मर्यादाएं लिखी वह मर्यादाएं एक प्रकार की गणछत्र है। उन्होंने कहा किआज का दिन मुख्य रूप से सेवा से जुड़ा हुआ है। हम सभी संघबद्ध साधना कर रहे हैं। धर्मसंघ में जी रहे हैं।

सेवा एक ऐसा तत्व है जो एक दूसरे को जोड़ने वाला होता है। जैसे धागे से मणिया जुड़ा हुआ होता हैं तो माला बन जाती हैं उसी प्रकार सेवा वह धागा है जिसमें संगठन के सभी सदस्य जुड़े हुए हैं। हमारे धर्मसंघ में मैं अनुभव करता हूं कि सभी में सेवा की अच्छी भावना है। जहां अपेक्षा होती है वहां साधु-साध्वी कोई भी हो सेवा के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसे संस्कार जिस धर्मसंघ में होते हैं वह भाग्यशाली होता है। जहां पर सेवा की बात आती है वहां पर पद भी गौण हो जाता है। अग्रणी हो या कोई भी पद पर हो परंतु सेवा सबसे पहले है। वृद्ध, अस्वस्थ आदि सभी की धर्मसंघ में सेवा होती है। यह जो सेवा का संस्कार है वह पुष्ट से पुष्टतर बने ऐसा प्रयास हो। हमारे इतने बालमुनि है यह धर्मसंघ की पौध है। इन को सिखाना, संभालना उनकी भी एक सेवा है। सभी के भीतर हमेशा सेवा की भावना रहे और जहां अपेक्षा हो वहां जाने के लिए हरदम तत्पर रहें। हम दूसरों को चित्त समाधि पहुंचाने का प्रयास करे। मुनि दिनेश कुमार जी द्वारा मर्यादा घोष एवं मर्यादा गीत का संगान किया गया। चार दिवसीय महोत्सव का प्रथम दिन सेवा को समर्पित रहा। साधुओं की ओर से मुनि कुमारश्रमण जी एवं साध्वियों की ओर से साध्वी जिनप्रभा जी ने सेवा हेतु सामूहिक निवेदन किया।

सेवा ही निर्जरा है

इस अवसर पर मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा जी ने सेवा का महत्व बताते हुए कहा तेरापंथ में तीन प्रकार की सेवा के कार्य होते हैं। व्यवस्था सेवा, सापेक्ष सेवा और निष्काम सेवा। निर्जरा की भावना से जो सेवा होती है उसका महत्व है। जो सेवा करता है वह महान निर्जरा करता है। हमारे धर्मसंघ में सेवा को बहुत महत्व दिया गया है। अन्य व्यक्ति भी आज जब तेरापंथ में सेवा की व्यवस्था को देखते हैं कि किस प्रकार से यहां पर अग्लान भाव से सेवा होती है तो आश्चर्यचकित हो जाते हैं। संघ सब की सेवा करता है। हमारे सभी पूर्वाचार्यों ने सेवा को बहुत महत्व दिया है। दीक्षा लेते ही सेवा के संस्कार जन्म घुंटी के रूप से सभी को मिलते हैं। जहा ऐसी सेवा होती है वह संघ हमेशा यूं ही चिरजीवी बना रहता है।

सेवा केंद्रों के लिए साधु-साध्वियों की नियुक्तियां

तेरापंथ धर्मसंघ में वृद्ध साधु- साध्वियों के लिए देश के विभिन्न स्थानों में सेवा केंद्र स्थापित है। आज के दिन वहां पर सेवा कार्य के लिए साधु- साध्वियों की नियुक्ति करते हुए आचार्य श्री ने लाडनू में साध्वी प्रज्ञावतीजी, गंगाशहर में साध्वी पवनप्रभाजी, बिदासर में साध्वी कार्तिक यशा जी, डूंगरगढ़ में साध्वी गुप्तिप्रभाजी एवं साध्वी परमप्रभाजी, उप सेवाकेंद्र हिसार में साध्वी कुंदनरेखाजी की नियुक्ति की। साधुओं के केंद्र में नियुक्ति करते हुए लाडनूं में मुनि अमृत कुमार जी और छापर में मुनि पृथ्वीराज जी (जसोल) की घोषणा की।
कार्यक्रम में जैन विश्व भारती द्वारा जय तिथि पंचांग का विमोचन किया गया। जिसे संस्थान के ट्रस्टी पंकज पोरवाल एवं आचार्य महाश्रमण मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महेंद्र धाड़ीवाल ने पूज्य चरणों में भेंट किया। इस अवसर पर मित्र परिषद कोलकाता द्वारा भी तिथि पत्रक आचार्य को उपहृत किया गया।

तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम रायपुर का निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा केंद्र जैनम मानस भवन में दिनांक 14 फरवरी से निशुल्क स्वास्थ्य शिविर भी चलाया जा रहा है। यहाँ 40 से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टरों परामर्श दे रहे हैं। यहां डेंटल, इनटी,ऑर्थो, कैंसर, स्त्री रोग, जनरल मेडिसिन, फिजियोथेरेपी, होम्योपैथिक, नेत्र रोग विशेषग्यों अपनी सेवाएं दे रहे हैं।साथ ही निशुल्क दवाओं का भी वितरण भी किया जा रहा है। यहां 250 से ज्यादा लोगो ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर स्वास्थ्य लाभ लिया। यह शिविर 21 फरवरी तक सुबह प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे तक आयोजित किया गया है।