पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। सुपेबेड़ा में एक किडनी पीड़ित शख्स की फिर मौत हो गई. मिली जानकारी के मुताबिक पीड़ित परिवार सरकारी इलाज को ठुकरा कर देसी आयुर्वेदिक इलाज करा रहे थे. सुपेबेड़ा किडनी पीड़ित की नवरंगपुर में देसी इलाज के दौरान मौत हो गई. CMHO एनआर नवरत्न ने इसकी पुष्टि की है.

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CMHO एनआर नवरत्न ने बताया कि सुपेबेडा निवासी किडनी पीड़ित 49 वर्षीय जयशन पटेल की मौत हो गई. ओडिशा के नवरंगपुर जिले में परिजन इलाज करा रहे थे. पापड़ा हांडी गांव में  परिजन अपने रिश्तेदार के घर रख कर आयुर्वेदिक इलाज करा रहे थे. जयशन इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.

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परिजनों से की गई थी डायलिसिस कराने की अपील

सीएमएचओ एनआर नवरत्न ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम जयशन को लगातार फॉलो कर रही थी. स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम मामले की सुध लेने 13 मार्च को पीड़ित के घर पहुंची. स्वास्थ्य विभाग ने पीड़ित के परिजनों से डायलिसिस कराने की अपील की. बावजूद इसके परिजनों ने स्वास्थ्य में सुधार का हवाला देकर आग्रह को ठुकरा दिया.

जयशन का किया अंतिम संस्कार

एनआर नवरत्न ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को सोमवार रात 10 बजे मौत की जानकारी मिली. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने एम्बुलेंस को ओडिशा के पापड़ा हांडी भेजा गया. एंबलेंस रात 1 बजे शव लेकर आया. इसके बाद सुबह जयशन का अंतिम संस्कार किया गया.

75 से ज्यादा लोग मौत के गाल में समा गए

बता दें कि गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा गांव में 75 से ज्यादा लोगों की जान किडनी की बीमारी अबतक लील चुकी है. सुपेबेड़ा में 150 से ज्यादा लोग बीमार हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यहां के पानी में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिसके चलते उन्हें यह बीमारी हो रही है. वे कई बार तेल नदी से पानी मुहैया कराने की मांग कर चुके हैं. अब तक शासन-प्रशासन लोगों की मांग पूरी करने में असफल रहा है.

सुपेबेड़ा को विरासत में मिली बीमारी !

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार गरियाबंद के लोगों को कहीं न कहीं लापरवाही की नतीजा भी भुगतना पड़ रहा है. स्वास्थ्य अमला जब लोगों से सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की अपील रहा है. बावजूद इसके लोग देसी इलाज की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में विरासत में मिली बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी सफर करते जा रही है.