कोंडागांव। आदिवासियों के आस्था का देवगुड़िया प्रतीक है. बस्तर के आदिवासी संस्कृति की धार्मिक पहचान को सहेजने के लिए भूपेश सरकार कोंडागांव के विभिन्न ग्राम पंचायतों में देवगुड़ियों का निर्माण करा रही है, जिनमें से दर्जनों देवगुड़ी स्थल सज सँवरकर आदिवासी अंचल की संस्कृति से रू-ब-रू करा रहे हैं.

पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आज कोण्डागांव के विभिन्न ग्रामों में बनवाए जा रहे देवगुड़ियों में पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान ग्राम भाटागांव, पुसापाल, सोड़सिवनी, तितना, लुभा, ग्राम संडसा, खुड़ी, बागबेडा और ग्राम भतवा के देवगुड़ियों में शेड निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.

उल्लेखनीय है कि दूरस्थ वनांचलों में बसे गावों में आदिवासी संस्कृति के संवर्धन के लिए राज्य सरकार देवगुड़ी के कायाकल्प में जुटी है. उद्देश्य है कि बस्तर भ्रमण में आने वाले सैलानी बस्तर की संस्कृति को जान-समझ सके. इन देवगुड़ियों मे आदिवासी संस्कृति को चित्रकला से भी उकेरा गया है.

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पत्थरों में देवी-देवताओं के चित्रों को बनाया गया है. देवगुड़ी में हिंगराज देवता विराजते हैं. इन देवगुड़ियों में आदिवासियों की आस्था है. देवगुड़ी में फल, फूल के पौधे चारों ओर लगाया जाता है. ग्रामीणों के लिए बैठने से लेकर तमाम सुविधाएं यहां मुहैया कराई जा रही है. आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बनने वाली देवगुड़ियां आदिवासी संस्कृति की मूल पहचान है. आने वाले समय मे सैलानियों के लिए यही देवगुड़ियां आकषर्ण का मूल केंद्र भी रहेगी.

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