रायपुर. छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज अब ब्लैक आऊट से निपटने को तैयार है. पावर प्लांट के ब्लैक आऊट होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ के कोरबा बिजली संयंत्रों को महज 15 मिनट में फिर शुरु किया जा सकेगा. इसका प्रदर्शन ​रविवार को छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी के डगनिया स्थित लोड डिस्पैच सेंटर में मॉकड्रील के दौरान किया गया.

जिसमें ब्लैक आऊट की स्थिति में कोरबा के थर्मल पावर प्लांट (तापीय विद्युत संयंत्र) को बांगों स्थिति जल विद्युत संयंत्र से स्टार्ट-अप पॉवर भेजकर 15 मिनट में चालू करने का सफल अभ्यास किया गया. इस मॉकड्रिल की मानीटरिंग मुंबई स्थित वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर के एक्सपर्ट इंजीनियर भी कर रहे थे.

इंडियन इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कोड और स्टेट ग्रिड कोड के निर्देशानुसार साल में दो बार इस तरह का मॉकड्रिल करना होता है. अंतर्राज्जीय बिजली ग्रिड ठप्प होने की स्थिति में ठप्प बिजली व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करने कि लिए यह मॉकड्रील छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन, जनरेशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के इंजीनियरों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया.ट्रांसमिशन कंपनी की प्रबंध निदेशक तृप्ति सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में यह मॉकड्रील पूरा हुआ.

इस ‘‘ब्लेक स्टार्ट-ग्रिड रिस्टोरेशन” मॉकड्रिल (पूर्वाभ्यास) के माध्यम से यह जानने में कामयाबी मिली कि ब्लैक आऊट के समय में अधिकतम 15 मिनट में कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र को दुबारा शुरू करने किया जा सकता है.

देश के पश्चिम क्षेत्रीय ग्रिड से छत्तीसगढ़ सहित गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र इत्यादि राज्य जुड़े हुये हैं. इस ग्रिड पर लगभग 42 हजार मेगावाट विद्युत की खपत दर्ज होती है. कई राज्यों से जुड़े विशाल ग्रिड के संचालन में कभी गड़बड़ी आने की स्थिति में बिजली संयंत्रों को फिर से चालू करने में अनेक कठिन चुनौतियां होती है.

गौरतलब है कि 2012 में 30-31 जुलाई को देश के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र के ग्रिड में आई ब्लैक आउट से देश के 21 राज्यों में पावर सप्लाई ठप हो गई थी. वहीं पश्चिम क्षेत्र एवं छत्तीसगढ़ इससे अप्रभावित रहा. इन्हीं परिस्थितियों में त्वरित बिजली सेवा बहाली के लिए मॉकड्रील किया जाता है. ब्लेक आउट की स्थिति में विद्युत उत्पादन संयंत्र काम नहीं करता तब संयंत्रों के दुबारा शुरू करने के लिए हायडल (जल विद्युत) या गैस पर आधारित संयंत्रों (जिनको चालू करने में कम समय लगता है) का उपयोग किया जाता है. छत्तीसगढ़ की जनरेशन कंपनी में बांगो जल विद्युत संयंत्र को इस कार्य लिए चिन्हांकित किया गया है.