नई दिल्ली। सौ करोड़ की वसूली के आरोप पर सीबीआई जांच कराने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से अपना पद गंवा चुके अनिल देशमुख के साथ महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने 2 बड़े पदों से जुड़ा मामला बताते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर दखल नहीं देने की बात कहकर सीबीआई जांच का मार्ग प्रशस्त कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की डबल बेंच ने महाराष्ट्र सरकार और उसके पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं पर सुनवाई की. दोनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 100 करोड़ की वसूली के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने देशमुख पर वसूली का टारगेट देने के आरोप लगाया था.

2 बड़े पदों पर बैठे लोगों से जुड़ा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह 2 बड़े पदों पर बैठे लोगों से जुड़ा मामला है। लोगों का भरोसा बना रहे, इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है. हम हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देंगे. अनिल देशमुख का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का तर्क था कि सीबीआई जांच का आदेश देने से पहले देशमुख का पक्ष सुना जाना था.

क्या आरोपी से पूछा जाता है एफआईआर हो या नहीं

इस पर बेंच ने कहा कि क्या आरोपी से पूछा जाता है कि एफआईआर हो या नहीं. इस पर सिब्बल ने कहा कि बिना ठोस आधार के यह आरोप लगाया गया है. इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि यह आरोप ऐसे व्यक्ति का है, जो गृह मंत्री का विश्वासपात्र था. अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कमिश्नर का पद नहीं मिलता. यह कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मामला नहीं है. इस पर सिब्बल के सीबीआई पर एतराज जताए जाने पर जज ने कहा कि आप जांच एजेंसी नहीं चुन सकते हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया था सीबीआई जांच का आदेश

बॉम्बे हाईकोर्ट में इसके पहले मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने पूर्व मुबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर सनवाई करते हुए सीबीआई से कहा था कि वह गृह मंत्री पर लगाए गए आरोपी की 15 दिनों के भीतर अपनी प्रारंभिक जांच पूरी करे. इस फैसले के कुछ ही घंटे बाद देशमुख ने अपना पद छोड़ दिया था.