सुशील खरे, रतलाम। मध्यप्रदेश में सरकार के तमाम दावों बाद भी प्रदेश में लगातार कोरोना संक्रमण से मौतें हो रही हैं. वहीं प्रदेश के अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों के हालात भी बदहाल हैं. अस्पताल के इस बदहाली के चलते रतलाम जिले में शुक्रवार की रात एक बुजुर्ग को मास्क तो लगा दिया गया लेकिन ऑक्सीजन की नली ही नहीं लगाई गई. जिसके चलते बुजुर्ग की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई.
ताजा मामला रतलाम जिले के मेडिकल कॉलेज शुक्रवार का है. यहां ऑक्सीजन नली निकलने से एक वृद्ध की मौत हो गई. उनके ही पास में गंभीर अवस्था में उनकी पत्नी भी भर्ती थीं. उन्होंने पति को तड़पते देखकर किसी तरह से अपने पास रखे मोबाइल से फोन कर अपनी बेटी को सूचना दी. लेकिन कुछ मदद मिलती कि उसके पहले ही बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया. इसी सदमे में कुछ देर बाद उनकी पत्नी की भी मौत हो गई. बता दें कि शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में इस बुजुर्ग दंपत्ति का कोरोना संक्रमित बेटा भी इलाज के लिए भर्ती है. मौत के बाद बुजुर्ग दंपत्तियों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुई.
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बिना नली के लगा था ऑक्सीजन मास्क
मेडिकल कॉलेज में भर्ती बुजुर्ग के बिना नली के मास्क लगा होने का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. और ये वायरल हो रहा वीडियो बता रहा है कि रतलाम मेडिकल कालेज में किस तरह से कोरोना मरीजों का इलाज किया जा हो रहा है. लापरवाही की हद कि इस वार्ड में सहायता के लिए में कोई भी डॉक्टर और नर्स मौजूद नहीं थीं, इस दौरान वार्ड में था तो बस कचरा फेंकने वाला एक व्यक्ति. साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने पिछले 7 दिनों में उनका आरटीपीसीआर तक नहीं किया.
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खोखला साबित हुआ मंत्री का वादा
शिवराज सरकार पर कोरोना से हो रही मौतों के आंकड़े छुपाने के आरोप शुरू से ही लग रहे हैं. इस एक उदाहरण यहां भी देखा जा सकता है. दरअसल बुधवार को नीमच के एक युवक की मौत का मामला तो उस समय सामने आया जब प्रदेश के वित्त मंत्री और जिला कोविड प्रभारी जगदीश देवड़ा मेडिकल कालेज के निरीक्षण के लिए पहुचे थे. यहां पर इस युवक के परिजनों ने रो- रो कर मेडिकल कॉलेज की लापरवाही मंत्री जी बताया था. जिसके बाद कैबिनेट मंत्री ने मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं को स्वीकार करते हुए दो दिन में सुधार की बात कही थी. लेकिन मंत्री जी का यह वादा भी चुनावी जुमलों की तरह खोखला निकला.
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लापरवाही की हद
वहीं दंपंत्ति के दामाद हिमांशु जोशी ने बताया कि 12 अप्रैल को दोनों को भर्ती करवाया था, तब इतनी ज्यादा तबियत खराब नहीं थी. आक्सीजन लगाई गई थी. एक दिन मेरे पास सासु मा का फोन आया कि तीन घण्टे से कोई वाशरूम ले जाने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि उनके ससुर ने बताया कि जब भी वाशरूम जाना होता है तो कर्मचारी को दस रुपये देने पड़ते हैं. शुक्रवार की शाम को फिर मेरे पास सासू मां का फोन आया कि ससुर की तबियत बहुत खराब है, वो तड़प रहे है. तब मौके पर पहुंचकर देखा तो उन्हें मास्क तो लगा हुआ था, लेकिन आक्सीजन की नली नहीं लगी हुई थी. यह स्तिथि 3 घंटे तक रही.
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जिसके लिए बजाई तालियां, वहीं बन रहे लापरवाह
हिमांशु जोशी आरोप लगाते हैं कि जिन डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए हमने तालियां बजाई थी, आज वो लापरवाह बनकर जान ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे जिला प्रभारी मंत्री, कलेक्टर, मेडिकल कॉलेज की डीन से चार दिन पहले शिकायत भी की थी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. कैबिनेट मंत्री कहने पर व्यवस्थाओ में सुधार की बजाए और बिगड़ गया.
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