नई दिल्ली.देश में कोरोना तांडव के बीच एक सुकून देने वाली खबर है. भारत में कोरोना वायरस का कहर जारी है. जानकारों की माने तो इस महीने कोरोना अपने पीक पर तो होगा, मगर जून में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह देने वाली एक्सपर्ट्स की एक टीम ने सुझाव दिया है कि आने वाले कुछ दिनों में भारत में कोरोना वायरस अपने पीक पर होगा. मगर पिछले महीने इसी टीम का अनुमान गलत साबित हुआ था और कोरोना का कहर और बढ़ गया. हालांकि, इस टीम का हाल का अनुमान उन वैज्ञानिकों के सुझाव के करीब है, जिनका मानना है कि मई के मध्य तक भारत में Corona अपने पीक पर होगा.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के आंकड़ों को कम करके बताया जा रहा है क्योंकि देश के श्मशान स्थलों पर शव के अंतिम संस्कार के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. इन्हीं वजहों से कोरोना के सटीक पीक का अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है. हालांकि, तब भी ये अनुमान काफी अहम माने जा रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से बचते नजर आ रहे हैं और इसके बदले कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए राज्य सरकारें पाबंदियां लगा रही हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हैदराबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रोफेसर माथुकुमल्ली विद्यासागर का अनुमान है कि आने वाले कुछ दिनों में कोरोना अपने पीक पर होगा.  आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल द्वारा तैयार मॉडल का हवाला देकर उन्होंने कहा कि मौजूदा अनुमान के मुताबिक, जून के अंत तक हर दिन 20 हजार केस देखने को मिल सकते हैं. हालांकि, जरूरत के हिसाब से हम इसे संशोधित करेंगे.

अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो कोरोना की दूसरी लहर झेल रहे भारत के लिए राहत की बात होगी, क्योंकि अभी देश में हर दिन करीब चार लाख से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन दिनों से लगातार देश में रोजाना कोरोना के चार लाख से अधिक मामले आ रहे हैं और रोजाना होने वाली मौत की संख्या ने भी चार हजार का आंकड़ा पार कर लिया है.

फिलहाल, बड़ी संख्या में वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले कुछ दिन भारत के लिए काफी कठिन होने वाले हैं. बेंगलुरु में स्थिति आईआईएस की एक टीम ने मैथेमेटिकल मॉल के आधार पर अनुमान जताया है कि देश में अगर यही ट्रेंड बना रहा तो 11 जून तक 404,000 मौतें हो सकती हैं.