पुरोषत्तम पात्रा,गरियाबंद.ठाकुर प्यारे लाल पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान,निमोरा में फर्जी तरीके से नियुक्ति का मामला पीएमओ तक पहुंच गया है.पीएमओ को की गई शिकायत में संविदा संकाय सदस्य आनंद रघुवंशी की गलत तरीके से संविदा नियुक्ति किये जाने का आरोप है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले की जांच के लिये राज्य सरकार को निर्देश दिया था,जिसके बाद राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने भी जांच में इस नियुक्ति को गलत पाया. लेकिन उसके बाद भी नियुक्ति निरस्त करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके बाद पीएमओ को लगातार इसी बात को लेकर 8 बार पत्र भेजा गया. पीएमओ से 11 सितंबर को मुख्य सचिव को पत्र भेजकर निर्देश दिया गया कि गलत तरीके से की गई संविदा नियुक्ति को निरस्त किया जाये,लेकिन उसके बावजूद आज तक इस संविदाकर्मी को नहीं हटाया गया है. यही जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता भवानी शंकर तिवारी ने सूचना के अधिकारी के तहत हासिल की है.लल्लूराम डॉट कॉम के हाथ भी मामले से जुड़े सभी दस्तावेज मौजूद हैं..
क्या है मामला
पंचायत संस्थान निमोरा में कार्यरत संविदा संकाय सदस्य (परियोजना नियोजन) आनंद रघुवंशी की संविदा नियुक्ति गलत त्रुटिपूर्ण तरीके से कर आर्थिक अनियमितता एवम अनुचित लाभ और शासकीय राशि का दुरूपयोग.
प्रधानमंत्री को 2016 से नवंबर 2017 तक की निम्न तारीखों को लगातार 10 शिकायतें की गई.(12/09/2016, 28/11/2016, 04/01/2017, 15/04/2017, 22/05/2017, 07/06/2017, 12/07/2017, 08/08/2017, अक्टूबर 2017, एवम नवंबर 2017). जिस पर PMO कार्यालय ने आनंद रघुवंशी को हटाने के निर्देश दिये हैं.
जांच रिपोर्ट में क्या आया सामने?
2016- प्रथम जांच रिपोर्ट-
जांच अधिकारी- शालिनी रैना (IFS)- रैना ने जांच कर रिपोर्ट 29/09/2016 को उपसचिव छ.ग.शासन,पंचायत विभाग को भेज दिया था.जिसमें इन्होंने माना कि-
1. अभिलेख के अनुसार रघुवंशी निरंतर 3 से 5 वर्ष का अनुभव नहीं रखते.
2. ग्रामीण विकास में प्रशासकीय या प्रशिक्षण अथवा केंद्र/राज्य सरकार द्वारा स्थापित ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण/अध्यापन कार्य से भिन्न है.
3. आनंद रघुवंशी PHD नहीं है.
4. संकाय सदस्य रघुवंशी की नियुक्ति से संबंधित फ़ाइल कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. इसलिए अभाव में टीप देना संभव नहीं है.
2017- द्वितीय जांच रिपोर्ट
जांच अधिकारी- के.सी.यादव (IFS)- इन्होंने जांच में पाया कि-
1. अभिलेख के अनुसार रघुवंशी निरंतर 3 से 5 वर्ष का अनुभव नहीं रखते. ग्रामीण विकास में प्रशासकीय या प्रशिक्षण अथवा केंद्र/राज्य सरकार द्वारा स्थापित ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण/अध्यापन कार्य से भिन्न है. आनंद रघुवंशी PHD नहीं है. संकाय सदस्य रघुवंशी की नियुक्ति से संबंधित फ़ाइल कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. इसलिए अभाव में टीप देना संभव नहीं है.
2. उपरोक्त कंडिका में लिखी बातें मान्य है.
3. शिकायतकर्ता द्वारा बिंदु 3 में उल्लेखित तथ्य सही है. (बिंदु 3- चूंकि वाणिज्य विषय सामाजिक विज्ञान की श्रेणी में नहीं आता है यह अनुभव प्रमाण पत्र शून्य मात्रा है तथा वाणिज्य संकाय के इस अनुभव प्रमाण पत्र को मान्य योग्य नहीं है। इसलिए रघुवंशी इस पद की योग्यता नहीं रखते है एवम इस आवेदन पत्र को भर्ती जांच समिति द्वारा अमान्य कर दिया जाना चाहिए था)
4. नियमित नियुक्ति के विज्ञापन जारी किए जाकर नियुक्ति की कार्यवाही के पूर्ण होने पर रघुवंशी की संविदा सेवा स्वतः समाप्त हो जाएगी.
PMO के निर्देश-
30.10.2015 को अपील के माध्यम से पत्र क्रमांक/f8-159/22 द्वारा लेख किया गया कि रघुवंशी की संविदा नियुक्ति संविदा नियुक्ति संबंधी नस्ती का संधारण sird निमोरा द्वारा किया जाता है तथा sird प्रकरण को शीघ्र कार्यवाही करें.
कैसे होती है PMO से मॉनिटरिंग-
PMO कार्यालय द्वारा परीक्षण हेतु हस्तछेप करते हुए जांच रिपोर्ट PMO ID पर अपलोड करने हेतु राज्य शासन को आदेशित किया जाता है.
क्या हुआ अभी तक-
सचिव पंचायत विभाग एवम संचालक, sird, निमोरा (पी सी मिश्रा) द्वारा PMO एवम सचिव भारत सरकार के निर्देश के बाद भी किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं कि गयी. जबकि दोनों जांच रिपोर्ट स्पष्ट बता रही है कि रघुवंशी की नियुक्ति गलत की गई है.
परंतु आज दिनाँक तक पंचायत विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच रिपोर्ट को दबा कर रख दिया गया है और न ही PMO के आदेश अनुसार अपलोड किया गया है. जबकि जांच रिपोर्ट के अनुसार उक्त व्यक्ति को तत्काल संविदा सेवा से हटाने के आदेश दिया जाना है.परंतु अभी तक उक्त को हटाने के आदेश जारी नहीं किये गए है. जो कि PMO एवम जांच रिपोर्ट के विपरीत है.