सत्यपाल राजपूत, रायपुर। कोरोना काल में कई लोगों की असमय मौत हो गई है. अब उनके परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटकना पड़ रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के कारण ऑनलाईन व्यवस्था फेल हो गई है. च्वाइस सेंटर्स में व्यवस्था दी गई है लेकिन लॉकडाउन के कारण च्वाइस सेंटर भी बंद है. निगम जाने से परिजनों को खदेड़ दिया जा रहा है, ऐसे परिजन अब जाएं तो जाएं कहां.

नगर पालिका निगम रायपुर में मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए लाइन में लगे एक व्यक्ति ने बताया कि मेरे परिजन की मौत मार्च के आखिरी में हुई है, लेकिन आज तक मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला है. हॉस्पिटल द्वारा जारी देथ रिपोर्ट को संबंधित कार्यालयों में नहीं माना जा रहा है, तो हम जाए कहां. निगम आते है तो बोलते है कि च्वाइस  सेंटर में व्यवस्था है, वहां जाकर बनाएं लेकिन च्वाइस सेंटर बंद तो अब जाएं कहां?

बीमा क्लेम करना है-

लाइन लगे एक परिजन ने बताया कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे. मौत के बाद विभाग कई सारे फॉर्म भरना है. बीमा क्लेम करना है, इन सबके लिए निर्धारित समय है. ऐसे समय में मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा तो हमें हमारा हक नहीं मिलेगा. इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा ?

मृत्यु प्रमाण पत्र की उपयोगिता

विभिन्न प्रकार के बीमा क्लेम, शासकीय नौकरी वाले को अनुकंपा एवं नौकरी संबंधी अन्य कार्य के लिए, जमीन स्थानांतरण, सरकारी योजना संबंधित, स्कूल में प्रवेश आदि जगहों में अनिवार्य है.

राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में यही हाल

राजधानी रायपुर की बात करें तो 2 हजार से ज्यादा विभिन्न वर्ग के लोगों को कोरोना ने निगल लिया है, तो वहीं प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जिसमें डॉक्टर, वकील, पत्रकार, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, आम जनता, व्यवसायी जैसे क्षेत्र से जुड़े लोगों की मौत हुई है, जो कही ना कही अपने परिवार के पालन पोषण के लिए कुछ ना कुछ व्यवस्था किए होते है. इसका लाभ परिजनों द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र दिखाने के बाद ही मिलता है.

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