शब्बीर अहमद, भोपाल। राजधानी के चिरायु अस्पताल की गुंडागर्दी के सामने सूबे की शिवराज सरकार ने घुटने टेक दिये हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का मामले में बयान सामने आया है। नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि चिरायु एक प्रतिष्ठित अस्पताल है। प्रदेश के बड़ी संख्या में लोग वहां इलाज करवाते हैं। सरकार की प्राथमिकता अस्वस्थ लोगों को स्वस्थ करना है। अस्पताल के मालिक की तरफ से पूरे मामले पर खंडन आ चुका है। गृहमंत्री के इस बयान के बाद जरा चिरायु अस्पताल प्रबंधन की उस गुंडागर्दी को भी देखिये और उसे समझने की कोशिश भी कीजिये कि निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों के परिजनों के साथ ऐसा दुर्व्यवहा क्यों ? और तो और सरकार को सीधी चुनौती, आदेश मानने से इंकार की वजह क्या है ?

गृहमंत्री का बयान और अस्पताल प्रबंधन के रवैय्ये के इस वीडियो को देखकर आप समझ ही गए होंगे कि आखिर एक अस्पताल की इतनी हिम्मत कैसे? कैसे सरकार के आदेश को चुनौती दिया जा रहा है ? इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूलने के बाद एक मरीज के परिजन से दुर्व्यवहार की इतनी हिम्मत इन्हें आई कहां से ? ऐसे में सवाल यही उठता है कि प्रतिष्ठित अस्पताल है तो क्या उसे दुर्व्यवहार और गुंडागर्दी की छूट मिल गई है?

यह है मामला

दरअसल वीडियो बना रहे युवक का नाम योगेश बलवानी है, योगेश की मां कोरोना संक्रमित होने के बाद 19 अप्रैल से चिरायु अस्पताल में भर्ती थी। अस्पताल द्वारा उनसे 3 लाख रुपये लिया जा चुका था। योगेश के अनुसार उसके पास अस्पताल को देने के लिए और पैसे नहीं थे। लिहाजा मई में शिवराज सरकार द्वारा जारी किये गए आदेश का उसने चिरायु अस्पताल प्रबंधन को हवाला दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि आयुष्मान योजना के तहत कोरोना का निशुल्क इलाज किया जाएगा। चिरायु अस्पताल भी आयुष्मान योजना के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों की सरकारी सूची में शामिल है।

मरीज के परिजन को बाहर फेंकवाया

इस आदेश का हवाला देने पर अस्पताल प्रबंधन का एक व्यक्ति आग बबूला हो गया और उसने कहा कि हमारे अस्पताल में आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा। सरकार को जो जवाब देना होगा हम दे देंगे। इसके बाद उसने योगेश बलवानी को अस्पताल से बाहर फेंकने का आदेश दे दिया। यह सारा वाक्या योगेश ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था।

पहले शव फिर डेथ सर्टिफिकेट भी रोका

पीड़ित की मां की इस घटना के दूसरे दिन मौत हो गई। योगेश बलवानी का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने शव देने से इंकार कर दिया। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि जब तक बकाया लाखों का बिल नहीं चुकाया नहीं जाएगा शव नहीं देंगे। योगेश बलवानी के अनुसार जब वह अस्पताल प्रबंधन के पैरों में गिरकर अपनी मां का अंतिम संस्कार किये जाने के लिए गिड़गिड़ाया तब प्रबंधन ने उसे शव दिया। लेकिन बाद में उसने चेतावनी दी कि बिल नहीं चुकाया जाएगा तो वे डेथ सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे।

कलेक्टर ने रजिस्ट्रेशन रद्द करने की सिफारिश की

मामले में लल्लूराम डॉट कॉम सहित अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के बाद कांग्रेस भी घटना से आक्रामक हुई और सरकार पर सवालिया निशान लगाया। जिसके बाद भोपाल कलेक्टर ने अस्पताल प्रबंधन को डेथ सर्टिफिकेट देने का आदेश जारी किया गया साथ ही अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द किये जाने की सिफारिश की गई।

अस्पताल के मालिक ने दी सफाई

फटकार और अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द किये जाने की कलेक्टर की सिफारिश से अस्पताल प्रबंधन के होश पाख्ता हो गए। चिरायु अस्पात के मालिक डॉ अजय गोयनका का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री का आदेश आऩे के बाद अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत निशुल्क इलाज किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज के परिजन के साथ की गई गुंडागर्दी और बदसलूकी पर कोई सफाई नहीं दी।

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