रायबरेली. उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने सोमवार को जनपद रायबरेली में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने की रणनीति प्रदेश में कारगार रही है. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में 3 टी सरकार का मूल मंत्र रहा है. 3 टी का अर्थ ट्रेस, टेस्ट व ट्रीट हैं, जिसके चलते प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से घट रहा है और ठीक होने वालों का आंकडा बढ रहा है. प्रदेश में 30 अप्रैल 2021 की तुलना में कोरोना के एक्टिव मामलों में 69.6 प्रतिशत की कमी आई है. राज्य में कोरोना संक्रमण से रिकवरी की दर वर्तमान में बढकर 93.2 प्रतिशत हो गई है. उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में कोविड–19 की जांच एवं उपचार नि:शुल्क किया जा रहा है. होम आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीजों को दवा की व्यवस्था के साथ ही कोविड कन्ट्रोल रूम से उनके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है. संक्रमण पर रोक के लिए युद्ध स्तर पर सेनेटाइजेशन का कार्य भी हो रहा है.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने दूरदर्शिता व पूरी संवेदनशीलता के साथ कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के उपाय किए, जिनका परिणाम आज सबके सामने हैं. देश में सबसे बडी आबादी वाले प्रदेश में आज संक्रमण काफी हद तक नियंत्रण में हैं. प्रदेश की बडी आबादी गांवों में रहती है और सरकार बड़ी संख्या में गावों में संक्रमण को फैलने से रोका है. सरकार के प्रयासों की डब्लूएचओ ने भी सराहना की है. ग्रामीण क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार 97 हजार से अधिक राजस्व गांवों में 5 मई से बडे पैमाने पर स्क्रीनिंग अभियान चला रही है. हर लक्षणयुक्त व सदिग्ध संक्रमित व्यक्ति को दवा की किट दी जा रही है.
जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई
डॉ. शर्मा ने कहा कि सरकार वर्तमान स्थिति पर नियंत्रण के साथ ही भविष्य के लिए भी पूरी तरह से तैयार है. कोरोना की तीसरी वेव की आशंका को देखते हुए हर जिले में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष पीकू आईसीयू तैयार किए जाने आरंभ हो गए हैं. प्रदेश के मेडिकल कालेजों में 100-100 पीकू बेड बनाने का कार्य प्रारम्भ हो गया है. जनपद के अस्पतालों में 20-20 बेड बच्चों के लिए आरक्षित किया जाएगा. इन्हें 20 जून तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. केजीएमयू में एक पीडियाट्रिक आईसीयू तैयार हो गया है. एक अन्य पीकू की स्थापना का कार्य प्रगति पर है. आरएमएल आईएमएस में 120 बेड का पीकू तैयार हो रहा है. कोरोना संक्रमण से ग्रसित लोगों के उपचार की व्यवस्था के साथ ही इस बात के भी पुख्ता इंतजाम किए गए कि दवाओं आदि की किसी प्रकार से कालाबाजारी नहीं हो सके. जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई.
हर रोज करीब तीन लाख कोरोना टेस्ट
डॉ. शर्मा ने कहा कि मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के समय प्रदेश में कोरोना टेस्ट की कोई सुविधा नहीं थी, सरकार ने प्रदेश के लोगों के जीवन की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म मानते हए तेजी से सूबे में लैब की स्थापना कराई. आज उत्तर प्रदेश में हर रोज करीब तीन लाख टेस्ट किए जा रहे हैं. प्रदेश में अब तक 4 करोड 64 लाख 19 हजार 134 कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं. कोरोना के इस दूसरी वेव में मरीजों को आक्सीजन की कमी नहीं हो इसके लिए भी सुनियोजित रूप से काम किया गया. एयर व रेल के जरिए आक्सीजन मंगाने के साथ ही अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट की स्थापना कराई गई. आक्सीजन के उपयोग की मानीटरिंग की भी रातों रात नई डिजिटल व्यवस्था तैयार की गई. जिसका परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में एक दिन में 100 मीट्रिक टन आक्सीजन तक की आपूर्ति कर मरीजों को राहत दी गई. प्रदेश में आक्सीजन की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित कराने 485 आक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए है. जिसमें 258 प्लांट की बनने की प्रक्रिया चालू हो गई है और 32 प्लांट क्रियाशील हो गए है. 90 प्रतिशत से अधिक प्लांट वातावरण से आक्सीजन बनाने वाले प्लांट है. मेडिकल कॉलेजों में अब ढाई दिन तक का बैकअप हो गया है. यूपी सरकार के आक्सीजन मानीटरिंग सिस्टम की नीति आयोग ने भी प्रशंसा की है.
अधिकारियों की टीम गठित कर प्रदेश पर रखी जा रही नजर
डॉ. शर्मा ने कहा कि इन सभी व्यवस्थाओं के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मार्गदर्शन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व रहा है. मुख्यमंत्री ने कोविड से पीडित होने के बाद भी सच्चे कर्मयोगी की तरह प्रदेश की जनता की सेवा की है. कोरोना से ठीक होने के बाद सीएम लखनऊ में नहीं बैठे बल्कि जिलों में जाकर उन्होंने कोविड के मरीजों से सीधे मुलाकात कर सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं को खुद परखा है. आज उत्तर प्रदेश का कोविड प्रबंधन देश के अन्य राज्यों के लिए माडल की तरह है. सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि कही भी कोई कमी नहीं रह जाए इसलिए हर कदम पर पूरी सतर्कता बरती जा रही है. राज्य स्तर अधिकारियों की टीम गठित कर प्रदेश पर नजर रखी जा रही है साथ ही जिलों में नोडल अधिकारियों को भेजकर व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत भी जांची जा रही है. मुख्यमंत्री खुद भी जिले के अधिकारियों से सीधे संवाद कर स्थिति पर नजर रख रहे हैं.
मेरा गांव कोरोना मुक्त गांव और मेरा वार्ड कोरोना मुक्त वार्ड का अभियान
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने लोगों को आ रही पोस्ट कोविड समस्याओं के निराकरण के लिए पोस्ट कोविड वार्ड बनाए हैं, जिससे कि उन परेशानियों को भी दूर किया जा सके. इसी क्रम में ब्लैक फंगस को अधिसूचित बीमारी घोषित करते हुए उसके उपचार के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. ब्लैक फंगस की दवाओं की कालाबाजारी न होने पाए इसके लिए भी फूल प्रूफ व्यवस्था की गई है. सभी जनपदों में वेंटिलेटर्स तथा ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं. गांव में कोविड-19 प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘‘मेरा गांव कोरोना मुक्त गांव’’ का अभियान और शहर में ‘‘मेरा वार्ड कोरोना मुक्त वार्ड’’ का अभियान चलाने के निर्देश दिए है.
1 जून से पूरे प्रदेश में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण
डॉ. शर्मा ने कहा कि सरकार ने लोगों को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए नि:शुल्क टीकाकरण आरंभ कराया है. उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जो 18 से 44 आयु वर्ग के अपने नागरिकों का नि:शुल्क टीकाकरण करा रहा है. प्रदेश में 18 से 44 वर्ष वाले लोगों के साथ-साथ 45 वर्ष से अधिक आयु वालों का वैक्सीनेशन चल रहा है. अब तक लगभग 1.27 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई और पहली डोज वाले लोगों में से लगभग 33 लाख लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी गई. इस प्रकार कुल लगभग 1.60 करोड़ वैक्सीन की डोज लगायी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि 1 जून से पूरे प्रदेश में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण का कार्य आरंभ होगा. उन्होंने बताया कि 23 जनपदों में अब तक 18 से 44 वर्ष के आयुवर्ग के लगभग 8.52 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.
प्रति यूनिट पांच किलो नि:शुल्क खाद्यान्न जरूरतमन्दों को
उन्होंने बताया कि आयुष विभाग द्वारा लगभग 10 हजार से अधिक आयुवेदिक, 38 हजार होम्योपेथिक, 2 हजार यूनानी तरीकों से उपचार किया गया है. लगभग 1 लाख 40 हजार आयुष किट तथा लगभग 1 लाख 53 हजार आयुष काढ़ा का वितरण किया गया है. अब तक लगभग 11 लाख आयुवेदिक, होम्योपेथिक तथा यूनानी पद्धतियों की विभिन्न प्रकार की औषधियों का वितरण किया गया है. आंशिक कोरोना कर्फ्यू के माध्यम से प्रदेश में कोविड संक्रमण को नियंत्रित करने में बडी मदद मिल रही है. डॉ. शर्मा ने कहा कि कोरोना की विकट परिस्थिति ने लोगों के सामने कई तरह की परेशानियां खडी की है पर सरकार उन्हे दूर करने का प्रयास कर रही है. कोविड–19 से उत्पन्न परिस्थितियों में गरीबों और जरूरतमन्दों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी श्रेणी के राशनकार्ड धारकों को 03 माह के लिए प्रति यूनिट 03 किलो गेहूं तथा 02 किलो चावल नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. इस प्रकार प्रति यूनिट पांच किलो नि:शुल्क खाद्यान्न जरूरतमन्दों को मिलेगा.
मजदूरी करने वाले को प्रति माह 1000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता
इससे प्रदेश की लगभग 15 करोड जनसंख्या लाभान्वित होगी. यह कार्यक्रम आरंभ हो गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को हर सम्भव राहत और मदद उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्पित है. शहरी क्षेत्रों में दैनिक रूप से कार्य कर अपना जीविकोपार्जन करने वाले ठेला, खोमचा, रेहडी, खोखा आदि लगाने वाले पटरी दुकानदारों दिहाडी मजदूरों रिक्शा व ई.रिक्शा, चालक पल्लेदार सहित नाविकों नाई धोबी, मोची, हलवाई आदि जैसे परम्परागत कामगारों को एक माह के लिए 1000 रुपए का भरण-पोषण भत्ता प्रदान किया जाएगा. इससे लगभग एक करोड़ गरीबों को राहत मिलेगी. इस क्रम में आंशिक कोरोना कर्फ्यू के दौरान जरूरतमन्दों के लिए कम्युनिटी किचन के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की जा रही है. वर्तमान में प्रदेश में करीब 400 सामुदायिक किचन संचालित हैं. राज्य सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए भी संकल्पित है. प्रदेश के सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए दो योजनाएं संचालित की जा रही हैं. दुर्घटना में दुर्भाग्यवश किसी श्रमिक की मृत्यु या दिव्यांगता हो जाने पर दो लाख रुपए के सुरक्षा बीमा कवर और 5 लाख रुपए तक के स्वास्थ्य बीमा कवर की व्यवस्था इन योजनाओं के माध्यम से की गई है.
प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाइन क्लास
डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सभी स्तर की शिक्षण संस्थाओं में 20 मई 2021 से ऑनलाइन क्लास का संचालन प्रारम्भ हो गया है. कोरोना की परेशानियों को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में संचालित सभी बोर्डों के विद्यालयों में फीस नहीं बढ़ाने का भी आदेश दिया है. उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड के चलते कई परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं. विद्यालय भौतिक रूप से बंद हैं पर आनलाइन पठन-पाठन कार्य जारी है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने एक ऐसा संतुलित निर्णय किया है जिससे कि आम जनमानस पर अतिरिक्त भार न पडे साथ ही विद्यालय में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेत्तर कार्मिकों को नियमित वेतन देना सुनिश्चित किया जा सके. उन्होंने बताया कि विद्यालय सत्र 2021-22 में पिछले वर्ष की भांति उसी शुल्क संरचना के हिसाब से शुल्क ले सकेंगे जो वर्ष 2019-20 में लागू की गई थी. अगर किसी स्कूल ने बढी हुई शुल्क संरचना के हिसाब से फीस ले ली है तो इस बढी हुई फीस को आगे के महीनों की फीस में समायोजित किया जाएगा.
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स्कूल फीस को लेकर छात्रों के पलकों को भी राहत
उन्होंने कहा है कि विद्यालय बन्द रहने की अवधि में परिवहन शुल्क नहीं लिया जाएगा. इसके अलावा अगर किसी छात्र या अभिभावक को तीन माह का अग्रिम शुल्क जमा करने में किसी प्रकार की परेशानी आ रही है तो उसके अनुरोध पर उनसे मासिक शुल्क ही लिया जाए. इस स्थिति में उन्हें तीन माह का अग्रिम शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा. उपमुख्यमंत्री ने बताया कि जब तक विद्यालयों में भौतिक रूप से परीक्षा नहीं हो रही है तब तक परीक्षा शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा. इसी प्रकार से जब तक क्रीडा विज्ञान प्रयोगशाला लाइब्रेरी कम्प्यूटर वार्षिक फंक्शन जैसी गतिविधियां नहीं हो रही है तब तक उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में पूरी संवेदनशीलता के साथ यह निर्णय भी किया है कि अगर कोई छात्र या छात्रा अथवा उनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना से संक्रमित है और उन्हें फीस देने में परेशानी हो रही है तो सम्बन्धित छात्र या छात्रा के लिखित अनुरोध पर उस माह का शुल्क अग्रिम महीनों में किश्त के रूप में समायोजित किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस बात के निर्देश भी दिए गए हैं कि विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मिकों का वेतन नियमित रूप से दिया जाए.
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