रेणु अग्रवाल,धार। कोरोना संक्रमण से मृत मरीजों के परिजनों की परेशानी मौत के बाद भी कम नहीं हो रही है. अब लोगों को मृत्यु प्रमाण में कोरोना से मृत लिखवाने के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है. शासन द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत होने का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया जा रहा है. इससे परिजनों को भविष्य में कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे परिजनों को सबसे ज्यादा परेशानी सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान के लिए होगी.

बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने वाले आश्रित परिजनों को एक लाख रुपए सहायता देने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र को परिजन बारीकी से पढ़ भी रहे हैं और कोरोना से मौत का उल्लेख नहीं होने पर अस्पताल स्टॉफ से बहस भी कर रहे हैं.

सिविल सर्जन ऑफिस के बाहर कोरोना से मृत लोगों के परिजनों ने बताया कि उनके परिजन जिला अस्पताल में भर्ती थे और वहीं पर उपचार के दौरान उनकी मौत हुई थी. उनका अंतिम संस्कार भी कोविड प्रोटोकाल के तहत किया गया था. वहीं मृत्यु प्रमाण पत्र दिए जाने पर कहीं भी उनकी मौत का कारण कोरोना संक्रमण का जिक्रनहीं है.

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परिजन राकेश चौहान ने बताया कि उनके पिता अशोक चौहान की मृत्यु कोरोना के कारण हुई थी. दिए गए प्रमाण पत्र में कोरोना से मृत्यु नहीं लिखा गया है.वहीं सरदारपुर में दिए गए प्रमाण पत्र में कोरोना से मृत्यु लिखा हुआ दिया जा रहा है. ऐसा ही एक प्रमाण पत्र उन्होंने दिखाया. एक ही जिले में परिजनों को दो तरीके से प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं. इस संबंध में सिविल सर्जन अनसूइया गवली ने कहा कि हमें मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मौत लिखना है या नही, इस संबंध में शासन द्वारा कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है.

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