सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। गहरे संकट काल में निजी कोविड हॉस्पीटल मानवता की बजाए मुनाफे पर ध्यान दे रहे हैं. आयुष्मान एवं ख़ूबचंद बघेल योजना के तहत 20% बेड को आरक्षित किया गया है, लेकिन रायपुर के अनेक निजी अस्पतालों ने एक भी मरीज का इन योजनाओं के तहत इलाज नहीं किया. यही नहीं स्वास्थ्य विभाग के नोटिस तक का जवाब देना इन अस्पतालों ने मुनासिब नहीं समझा.

कोरोना काल में संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में 20 प्रतिशत बेड आरक्षित किया गया है. लेकिन कोरोना को मुनाफाखोरी का स्वर्णिम अवसर मानते हुए जिले के 14 निजी अस्पतालों ने सरकारी योजना के तहत एक भी मरीज़ का इलाज करना मुनासिब नहीं समझा, वहीं 11 अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने केवल एक मरीज़ भर्ती कर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की. जिले के 68 कोविड अस्पतालों में से सिर्फ़ 12 ही ऐसे जो हैं, जो टारगेट के क़रीब है.

लल्लूराम डॉट कॉम के खुलासे के बाद कोरोना संक्रमितों का इलाज करने में कोताही बरत रहे इन सभी निजी अस्पतालों को नोटिस जारी हुआ था, लेकिन इसके बाद भी इन अस्पतालों के रवैये में कोई सुधार नहीं हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों पर आखिर कब कार्रवाई करेगा.

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीरा बघेल ने कहा नोटिस के बाद कुछ अस्पतालों ने तत्परता दिखाई है, लेकिन एक दर्जन से ज़्यादा ऐसे अस्पताल हैं, जिनका योजना के तहत खाता भी नहीं खुला है. इन पर उन्होंने बहुत जल्द कार्रवाई की बात कही है. डॉ. बघेल ने कहा कि इन सभी अस्पतालों को आदेश के पालन संबंधी तीन बार नोटिस जारी किया जा चुका है, अब सीधा कार्रवाई की जाएगी.

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इन अस्पतालों का नहीं खुला खाता

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