नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोनावायरस के सभी वैरिएंट (CoronaVirus Variant) या स्ट्रेन का नामकरण कर दिया है. कोरोना वायरस के स्ट्रेन या वैरिएंट को किसी देश विशेष से जोड़ने को लेकर विवाद के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नामकरण की यह कवायद की है. भारत में सबसे पहले मिले कोरोना स्ट्रेन का नाम ‘डेल्टा वेरिएंट’ रखा गया है.
कोरोना वेरिएंट्स का नामकरण
इसी के तहत भारत में सबसे पहले कोरोना के वैरिएंट B.1.617 को डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) कहा जाएगा. यह वैरिएंट अब तक 53 देशों में पाया जा चुका है और सात अन्य देशों में इसकी अनाधिकारिक तौर पर पहचान हुई है.
वेरिएंट की पहचान
भारत में 12 मई में इस वेरिएंट की पहचान B.1.617 से की गई थी, जिसे भारतीय वेरिएंट कहा जा रहा था. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य निकाय ने कहा था कि वायरस और वेरिएंट्स को किसी भी देश के नाम से नहीं जाना चाहिए, जहां पर वह पाया गया है.
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 के टेक्निकल लीड डॉक्टर मारिया वेन केरखोव ने बताया- “मौजूदा वैज्ञानिक नामों पर यह लेबल नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि वे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सूचना देते हैं और उस शोध में इस्तेमाल किया जाता रहेगा. किसी भी देश में जहां पर यह वेरिएंट पाया जाता है उसे उसका पीड़ा नहीं दिया जाना चाहिए.
Labelled using Greek alphabets, World Health Organisation (WHO) announces new labels for Covid variants of concern (VOC) & interest (VOC).
Covid variant first found in India will be referred to as ‘Delta’ while earlier found variant in the country will be known as ‘Kappa’ pic.twitter.com/VIEVWBGryC
— ANI (@ANI) May 31, 2021
इसमें कहा गया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा बुलाए गए एक विशेषज्ञ समूह ने ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों का उपयोग करने की सिफारिश की है, जो कि अल्फा, बीटा, गामा आदि हैं. यह गैर वैज्ञानिक लोगों के लिए ज्यादा आसान चर्चा करने में प्रैक्टिकल रहेगा.
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