जगदलपुर। नागेन्द्र देवांगन के परिवार के लिए कोरोना काल में भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने जो कुछ किया उसे बयां करना उनके लिए मुश्किल है. उन्हें यह बात और सालती है कि यह सब कहीं और नहीं बल्कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेकॉज में हुआ.

नागेंद्र देवांगन के परिवार ने अपनी इस पीड़ा को देवांगन समाज के पदाधिकारियों के साथ पत्रवार्ता में बयां किया. परिजनों ने मेकॉज के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाते हुए शासन – प्रशासन से न्याय दिलाने की अपील की है. परिवार के सदस्यों ने बताया कि बीते माह कोरोना के चलते उनकी दादी और मां की मृत्यु हो गई.

जब उनके पिता नागेन्द्र देवांगन की भी तबीयत खराब हुई और लक्षण कोरोना जैसे दिखे तो उन्हें देरी ना करते हुए शहर के एक निजी कोविड केयर सेंटर क्वीन्स एनआरआई में भर्ती कराया गया, जहां सीटी स्कैन में उनके पिता का फेफड़ा 35 प्रतिशत संक्रमित पाया गया. स्थिति बिगड़ते देख निजी केयर सेंटर ने उन्हें बेहतर उपचार के लिए मेकॉज रेफर कर दिया.

परिवार वालों का आरोप है कि इसके बाद मेकॉज में लगातार मरीज की हालत खराब होती गई, जिसकी जानकारी उनके द्वारा हर समय मेडिकल स्टाफ को भी दिया गया, लेकिन मरीज की सूध लेने कोई डाक्टर नहीं पहुंचा. हर बार वार्ड में उपस्थित वार्ड बाॅय और नर्सों ने ही मरीज को अटेंट किया और इस लापरवाही के चलते आखिर उनके पिता ने दम तोड़ दिया.

हद तो तब हो गई जब परिजनों ने इस लापरवाही का विरोध किया तब वार्ड के डॉक्टर आकर उन्हें धमकाने लगे. मामला बढ़ता देख मेकॉज के अन्य डाक्टर और स्टाफ परिवार के सदस्यों को वार्ड के उस हिस्से में लेकर गए, जहां सीसीटीवी कैमरा नहीं था, और डॉ. मनोज चंद्राकर और डॉ. राघवेन्द्र चौबे के साथ मिलकर उनसे गाली-गलौच और मारपीट शुरू कर दी. यही नहीं मारपीट के दौरान मृतक की गर्भवती बड़ी बेटी को भी बक्शा नहीं गया. मारपीट से अब उसे गर्भ की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

परिवार के साथ हुई इस घटना की रिकार्डिंग परिवार के सदस्यों ने अपने फोन में कर ली. परिजनों ने जब मामले में दोषी डाक्टरों के खिलाफ परपा थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया. परिवार और समाज का कहना है कि यदि दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं होती है तो उस स्थिति में समाज आंदोलन को विवश हो जाएगा.

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वहीं डाक्टरों का कहना है कि मरीज के मौत के बाद उसके अटेंडर हिंसक हो गए थे, और उन्होंने डॉक्टर और स्टाफ पर हमला किया, जिसकी शिकायत डॉक्टरों ने भी थाने में की है. सवाल यह है कि मृतक के परिजनों के बनाए वीडियो में डाक्टर और स्टाफ पीपी किट पहने और हाथों में डंडे लिए दिख रहे हैं. ऐसे में कौन किस पर हमला किया यह तो जांच का विषय है. बहरहाल, पीड़ित परिवार दोषियों पर कार्रवाई कर न्याय की मांग कर रहा है.

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