नई दिल्ली. जीएसटी प्रणाली की खामियों को दूर करने के लिए शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक रखी गई थी. इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की. जिसमें देशभर में अगले साल 1 जून से ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया गया. काउंसिल ने जीएसटी के आईटी नेटवर्क की तैयारियों को देखते हुए यह निर्णय लिया.
हालांकि काउंसिल ने कहा है कि ई-वे बिल की व्यवस्था 16 जनवरी 2018 से उपलब्ध होगी और राज्य स्वैच्छिक आधार पर जून से पहले भी इसे अपना सकते है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में ई-वे बिल प्रणाली को लागू करने पर विचार विमर्श किया गया. विचार विमर्श के दौरान जीएसटी नेटवर्क के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की तैयारियों का जायजा भी लिया गया.
वित्त मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर ई-वे बिल 16 जनवरी 2018 तक परीक्षण के तौर पर उपलब्ध हो जाएगा. व्यापारी वर्ग और ट्रांसपोर्टर 16 जनवरी से स्वैच्छिक आधार पर इस प्रणाली का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर इसके क्रियान्वयन के बारे में एक फरवरी 2018 से अधिसूचित कर दिए जायेगा. इससे सभी राज्यों में माल के सुगम आवागमन को लेकर नियमों में एकरूपता आ जाएगी.
क्या है ई-वे बिल
ई-वे बिल के तहत 50,000 रुपए से अधिक के राशि के प्रोडक्ट की राज्य या राज्य से बाहर ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी के लिए सरकार को पहले ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए बताना होगा. इसके तहत ई-वे बिल जनरेट करना होगा जो 1 से 15 दिन तक मान्य होगा. यह मान्यता प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा. मान लीजिए 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा.